





राधा
Radha
(Hindu goddess of love and chief consort of the god Krishna)
Summary
राधा: कृष्ण की प्रेमिका और शक्ति स्वरूपा देवी (Radha: The Beloved and the Power of Krishna)
राधा (Radha), जिन्हें राधिका (Radhika) भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में प्रेम, कोमलता, करुणा और भक्ति की देवी हैं और भगवान कृष्ण की प्रमुख संगीनी मानी जाती हैं।
देवी लक्ष्मी का अवतार और मूलप्रकृति:
धार्मिक ग्रंथों में, राधा को देवी लक्ष्मी का अवतार और मूलप्रकृति (Mūlaprakriti) के रूप में वर्णित किया गया है। मूलप्रकृति का अर्थ है - सृष्टि का मूल आधार। राधा को कृष्ण की आंतरिक शक्ति (ह्लादिनी शक्ति - hladini shakti) और उनका स्त्री रूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण के सभी अवतारों में राधा उनके साथ होती हैं।
हर साल राधाष्टमी (Radhashtami) के पावन अवसर पर राधा का जन्मदिन मनाया जाता है।
कृष्ण के साथ राधा का द्वैत सम्बन्ध:
कृष्ण के साथ राधा का संबंध दो तरह से देखा जाता है: प्रेमिका (lover) और पत्नी (wife)।
- निम्बार्क सम्प्रदाय (Nimbarka Sampradaya) जैसी परंपराएँ राधा को कृष्ण की शाश्वत संगीनी और पत्नी मानती हैं।
- वहीं, गौड़ीय वैष्णववाद (Gaudiya Vaishnavism) जैसी परंपराएँ उन्हें कृष्ण की प्रेमिका और दिव्य संगीनी मानती हैं।
राधा की पूजा:
- राधा वल्लभ सम्प्रदाय (Radha Vallabh Sampradaya) और हरिदासी सम्प्रदाय (Haridasi Sampradaya) में केवल राधा को ही परमेश्वर (Supreme Being) के रूप में पूजा जाता है।
- अन्य सम्प्रदायों जैसे निम्बार्क सम्प्रदाय, पुष्टिमार्ग (Pushtimarg), महानम सम्प्रदाय (Mahanam Sampradaya), स्वामीनारायण सम्प्रदाय (Swaminarayan Sampradaya), वैष्णव-सहजिया (Vaishnava-Sahajiya), मणिपुरी वैष्णववाद (Manipuri Vaishnavism), और चैतन्य महाप्रभु (Chaitanya Mahaprabhu) से जुड़े गौड़ीय वैष्णववाद आंदोलनों में, राधा को कृष्ण की प्रमुख संगीनी के रूप में पूजा जाता है।
ब्रज गोपियों की प्रेरणा:
राधा को ब्रज गोपियों (Braj Gopis - ब्रज की ग्वाल बालिकाएं) में सबसे प्रमुख बताया गया है। उन्होंने असंख्य साहित्यिक कृतियों को प्रेरित किया है, और कृष्ण के साथ उनका रासलीला नृत्य कई प्रकार की प्रदर्शन कलाओं का आधार बना है।