





शिवरात्रि
Ratri
(Hindu goddess of night)
Summary
रात्रि: वैदिक काल की एक महत्वपूर्ण देवी
रात्रि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, रात का मानवीकरण है। वैदिक साहित्य में उन्हें एक देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें 'निशा' भी कहा जाता है। ऋग्वेद में रात्रि के बारे में सबसे ज़्यादा उल्लेख मिलते हैं जहाँ उन्हें उषा (प्रातःकाल) की बहन बताया गया है। उषा के साथ मिलकर, उन्हें एक शक्तिशाली माँ और प्राण शक्ति को मज़बूत करने वाली देवी माना जाता है।
यद्यपि उनके शारीरिक रूप का स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है, लेकिन उन्हें एक सुंदर युवती के रूप में वर्णित किया गया है। ऋग्वेद में एक और अथर्ववेद में पाँच सूक्त रात्रि को समर्पित हैं।
रात्रि का महत्व:
- ब्रह्माण्डीय चक्र: रात्रि ब्रह्माण्ड के चक्रीय लयबद्ध पैटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।
- शक्ति और सुरक्षा: उन्हें अंधेरे में सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।
- आराम और تجدید: रात्रि विश्राम और नवजीवन का समय है, जो जीवन के चक्र के लिए आवश्यक है।
रात्रि का संबंध अन्य देवताओं से:
- ऋग्वेद: उषा, इंद्र, ऋता, सत्य
- अथर्ववेद: सूर्य
ब्राह्मण और सूत्र साहित्य में भी रात्रि का बार-बार उल्लेख मिलता है। बाद के तांत्रिक ग्रंथों में भी उन्हें एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
संक्षेप में:
रात्रि वैदिक धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं जो रात, विश्राम, सुरक्षा और ब्रह्माण्डीय चक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें उषा की बहन और कई अन्य देवताओं के साथ जोड़ा जाता है।