





नारायण
Narayana
(Form of the Hindu god Vishnu)
Summary
Info
Image
Detail
Summary
नारायण: विष्णु का एक रूप
"नारायण" नाम विष्णु जी के रूपों और उपाधियों में से एक है। यह शब्द संस्कृत से आया है, और इसका अर्थ "नर" (पुरुष) और "आयन" (निवास) के रूप में किया जाता है।
इस रूप में, भगवान विष्णु को आकाशगंगा के पानी के नीचे योग निद्रा में सोते हुए दर्शाया जाता है। यह उनकी पुरुषत्व और सृजन की भूमिका का प्रतीक है।
नारायण को "पुरुषोत्तम" के नाम से भी जाना जाता है, और वैष्णव धर्म में उन्हें सर्वोच्च ईश्वर माना जाता है।
विवरण:
- योग निद्रा: नारायण को योग निद्रा में सोते हुए दिखाया जाता है, जो एक गहरी ध्यान की स्थिति है। यह उनकी शांति, शक्ति और सृजन की भूमिका को दर्शाता है।
- आकाशगंगा के पानी: नारायण को आकाशगंगा के पानी के नीचे सोते हुए दर्शाया जाता है, जो उनकी सर्वव्यापी प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ उनके संबंध को दर्शाता है।
- पुरुषत्व: नारायण, विष्णु के रूप में, पुरुषत्व के प्रतीक हैं, और ब्रह्मांड के सृजन के लिए जिम्मेदार हैं।
- सर्वोच्च ईश्वर: वैष्णव धर्म में, नारायण को सर्वोच्च ईश्वर माना जाता है, जिससे वे सभी देवी-देवताओं और जीवों के निर्माता और संरक्षक हैं।
सारांश:
नारायण, विष्णु जी का एक महत्वपूर्ण रूप है, जो उनकी शक्ति, शांति, सृजन और ब्रह्मांडीय प्रकृति को दर्शाता है। वैष्णव धर्म में, उन्हें सर्वोच्च ईश्वर माना जाता है, और उनकी पूजा आध्यात्मिक मुक्ति पाने के लिए की जाती है।
Narayana is one of the forms and epithets of Vishnu. In this form, the deity is depicted in yogic slumber under the celestial waters, symbolising the masculine principle and associated with his role of creation. He is also known as Purushottama, and is considered the Supreme Being in Vaishnavism.