नंदीपाड़ा

Nandipada

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नंदीपाद: एक प्राचीन भारतीय प्रतीक

"नंदीपाद" का शाब्दिक अर्थ होता है "नंदी का पैर"। यह एक प्राचीन भारतीय प्रतीक है जो बैल के खुर या धरती पर उसके पैर के निशान जैसा दिखता है। नंदीपाद को "टॉरिन प्रतीक" भी कहा जाता है।

यह प्रतीक आमतौर पर हिंदू धर्म में भगवान शिव के वाहन नंदी से जुड़ा हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि नंदीपाद का चिन्ह ब्राह्मी लिपि के "म" अक्षर से मिलता-जुलता है।

नंदीपाद का इतिहास:

  • प्राचीन सिक्कों पर: नंदीपाद का चिन्ह अनेक प्राचीन भारतीय सिक्कों पर पाया जाता है, जैसे कि दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के तक्षशिला के सिक्के। इन सिक्कों पर अक्सर पीछे की तरफ एक ज़ेबू बैल दिखाया जाता था, जिसके कूबड़ पर नंदीपाद का निशान बना होता था। यह इस बात का प्रमाण है कि यह जानवर सिर्फ़ सजावट के लिए नहीं, बल्कि एक धार्मिक या भौगोलिक प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण था। बाद में ज़ीयोनिस और विम कडफिसेस के सिक्कों पर भी यही जुड़ाव देखा गया।

नंदीपाद का अन्य धर्मों में महत्व:

  • बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में नंदीपाद को त्रिरत्न (बुद्ध, धम्म, संघ) का प्रतीक माना जाता है।
  • जैन धर्म: जैन धर्म में नंदीपाद का संबंध उदयगिरि और खंडगिरि गुफाओं से है।

संक्षेप में: नंदीपाद एक प्राचीन और बहुआयामी प्रतीक है जिसका भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। यह प्रतीक न केवल हिंदू धर्म, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म से भी जुड़ा हुआ है।


The Nandipada is an ancient Indian symbol, also called a taurine symbol, representing a bull's hoof or the mark left by the foot of a bull in the ground. The nandipada and the zebu bull are generally associated with Nandi, Shiva 's humped bull in Hinduism. The Nandipada symbol also happens to be similar to the Brahmi letter "ma".



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