




गढ़ कुण्डार
Garh Kundar
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Summary
गढ़ कुंडार - एक गौरवशाली इतिहास का साक्षी
गढ़ कुंडार (जिसे गढ़कुद्धर भी कहा जाता है) मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। इसका नाम यहाँ स्थित कुंडार के शानदार किले या "गढ़" के नाम पर रखा गया है। 925 से 1507 ईस्वी तक, गढ़ कुंडार किले ने कई युद्धों और रक्तपात को देखा।
यशोवर्मन चंदेल (925-940 ईस्वी) ने दक्षिण-पश्चिमी बुंदेलखंड को जीतने के बाद इस किले का निर्माण करवाया था। 1182 ईस्वी में पृथ्वीराज चौहान और चंदेलों के बीच हुए युद्ध में किले के सेनापति, शयाजी परमार हार गए और किला पृथ्वीराज चौहान के अधीन आ गया। फिर राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान ने खुब सिंह खंगार को इस किले का शासक नियुक्त किया, जिन्होंने बाद में खंगार वंश की नींव रखी।
यह किला एक पहाड़ी की चोटी पर बना है और इसमें पाँच मंजिलें हैं, जिनमें से दो भूमिगत हैं और तीन ऊपर हैं। किला इस तरह बनाया गया है कि यह 5 किलोमीटर दूर से दिखाई देता है, लेकिन जैसे-जैसे कोई इसके पास आता है, किला नज़र से ओझल होता जाता है और मुख्य सड़क किसी अन्य दिशा में मोड़ लेती है।
इस किले के इतिहास को वृंदावनलाल वर्मा ने अपनी पुस्तक में खूबसूरती से लिखा है।
आगे क्या:
- किले के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करें: जैसे, किले की संरचना, वास्तुकला, और किले में मौजूद कलाकृतियाँ।
- किले से संबंधित कुछ दिलचस्प कहानियाँ या किंवदंतियाँ बताएं।
- किले में मौजूद कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों या घटनाओं का उल्लेख करें।
- किले की वर्तमान स्थिति और पर्यटकों के लिए इसके महत्व का वर्णन करें।
यह जानकारी आपके पाठकों के लिए गढ़ कुंडार के इतिहास को और अधिक रोचक और समझने योग्य बनाएगी।