पूतना

Putana

(Demoness in Hinduism)

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पूतना: एक राक्षसी, एक माँ, एक प्रतीक

हिन्दू धर्म में, पूतना (शाब्दिक अर्थ: 'सड़न') एक राक्षसी थी जिसे बाल-भगवान कृष्ण ने मार डाला। पूतना एक जवान, सुंदर स्त्री का रूप धरकर, जहर युक्त दूध पिलाकर भगवान कृष्ण को मारने का प्रयास करती है। परन्तु कृष्ण उसके दूध के साथ-साथ उसकी जान भी अपने स्तनों से चूस लेते हैं। पूतना को कृष्ण की धात्री माँ भी माना जाता है क्योंकि उसने उन्हें दूध पिलाया था। अपना दूध अर्पण करके, पूतना ने अपने दुष्ट इरादों के साये में "मातृत्व भक्ति का परम कार्य" किया।

यह कथा हिन्दू ग्रंथों और कुछ भारतीय पुस्तकों में बार-बार वर्णित है, जहाँ पूतना को अलग-अलग रूपों में दिखाया गया है - कभी एक दुष्ट डायन के रूप में, तो कभी एक राक्षसी के रूप में जिसने कृष्ण को समर्पित कर दिया, हालाँकि उसके शुरुआती इरादे बुरे थे।

पूतना की व्याख्या शिशु रोग या पक्षी के रूप में भी की जाती है, जो क्रमशः शिशु के लिए खतरे या इच्छा का प्रतीक है, और यहाँ तक कि एक प्रतीकात्मक बुरी माँ के रूप में भी। वह मातृका नामक दुष्ट हिन्दू माता देवियों के समूह में और योगिनियों और ग्राहिनियों (अपहरणकर्ताओं) के समूह में भी शामिल है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा ग्रंथ बच्चों को रोगों से बचाने के लिए उसकी पूजा करने का विधान देते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कई पूतनाओं का उल्लेख मिलता है।

विस्तृत विवरण:

  • पूतना का रूप और इरादा: पूतना का रूप बदलने की क्षमता थी, जिससे वह अपने शिकार को आसानी से धोखा दे सकती थी। उसका मुख्य इरादा कृष्ण को मारना था, लेकिन कथा में उसके दुष्ट इरादों के पीछे के कारणों पर विस्तार से चर्चा नहीं की गई है। कुछ ग्रंथों में उसे कंस की साजिश का हिस्सा बताया गया है।

  • कृष्ण द्वारा वध: कृष्ण ने पूतना को मारकर न केवल अपनी रक्षा की, बल्कि उसके दुष्ट कार्य को भी समाप्त किया। यह कृष्ण के शक्ति और दिव्यता का प्रमाण माना जाता है। पूतना के मृत्यु के बाद उसके शरीर का विघटन भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो उसके दुष्ट स्वभाव का प्रतीक है।

  • मातृत्व भक्ति का प्रतीक: हालांकि पूतना के इरादे बुरे थे, लेकिन उसने कृष्ण को दूध पिलाया, जिससे उसे कृष्ण की धात्री माँ भी माना जाता है। यह एक विरोधाभास है जो पूतना के चरित्र की जटिलता को दर्शाता है - एक दुष्ट राक्षसी जो अनजाने में मातृत्व भक्ति का एक रूप प्रदर्शित करती है।

  • प्रतीकात्मक अर्थ: पूतना विभिन्न प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करती है। शिशु रोग, इच्छा, और एक बुरी माँ के रूप में उसकी व्याख्या उस प्रतीकवाद को उजागर करती है जो विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक व्याख्याओं को जन्म देता है। यह प्रतीकवाद पूतना की कथा को केवल एक कहानी से बढ़कर एक गहरे अर्थ वाला प्रतीकात्मक अनुभव बनाता है।

  • चिकित्सीय महत्व: प्राचीन भारतीय चिकित्सा ग्रंथों में पूतना की पूजा का उल्लेख बच्चों की रक्षा के संदर्भ में मिलता है, जो उसकी कथा के व्यावहारिक और सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डालता है। यह दर्शाता है कि कथा का धार्मिक महत्व केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और चिकित्सीय भी था।

संक्षेप में, पूतना की कथा एक जटिल और बहुआयामी कहानी है जो दुष्टता, मातृत्व, और प्रतीकवाद के कई स्तरों को प्रदर्शित करती है, जिसने सदियों से हिन्दू धर्म और संस्कृति को प्रभावित किया है।


In Hinduism, Pūtanā is a rakshasi (demoness), who was killed by the infant-god Krishna. Putana disguises as a young, beautiful woman and tries to kill the god by breast-feeding poisoned milk; however Krishna sucks her milk as well as her life via her breasts. Putana is also considered as a foster-mother of Krishna as she breast-fed him. By offering her milk, Putana had performed "the supreme act of maternal devotion", in the shadow of her evil motives. The legend is told and retold in Hindu scriptures and some Indian books, which portray her variously as an evil hag or a demoness who surrendered herself to Krishna, though she initially came with evil motives.



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