





अष्ट लक्ष्मी
Ashta Lakshmi
(Eight manifestations of the Hindu goddess Lakshmi)
Summary
अष्टलक्ष्मी: आठ रूप, अनंत कृपा
हिन्दू धर्म में, धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है। "अष्ट" का अर्थ है आठ, यानि लक्ष्मी के आठ स्वरूप। ये आठ रूप जीवन के आठ महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हमें सच्ची समृद्धि प्रदान करते हैं।
आइए, अष्टलक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों को विस्तार से समझें:
आदि लक्ष्मी (Adi Lakshmi): यह लक्ष्मी का आदि और अनंत स्वरूप है। आदि लक्ष्मी हमें आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं।
धन लक्ष्मी (Dhana Lakshmi): यह स्वरूप धन-धान्य, समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाओं का प्रतीक है। धन लक्ष्मी हमें आर्थिक स्थिरता और प्रगति का वरदान देती हैं।
धान्य लक्ष्मी (Dhanya Lakshmi): यह स्वरूप अन्नपूर्णा का रूप है, जो हमें भोजन, फसल और कृषि से प्राप्त समृद्धि प्रदान करती हैं।
गज लक्ष्मी (Gaja Lakshmi): यह स्वरूप शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है। हाथियों से घिरी गज लक्ष्मी हमें बाधाओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती हैं।
सन्तान लक्ष्मी (Santana Lakshmi): यह स्वरूप संतान सुख, मातृत्व और परिवार की खुशहाली का प्रतीक है।
वीर लक्ष्मी (Veera Lakshmi): यह स्वरूप साहस, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक है। वीर लक्ष्मी हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस देती हैं।
विद्या लक्ष्मी (Vidya Lakshmi): यह स्वरूप ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा का प्रतीक है। विद्या लक्ष्मी हमें सही और गलत का ज्ञान, बुद्धि और विवेक प्रदान करती हैं।
विजय लक्ष्मी (Vijaya Lakshmi): यह स्वरूप विजय, सफलता और यश का प्रतीक है। विजय लक्ष्मी हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और यश प्राप्त करने का आशीर्वाद देती हैं।
मंदिरों में अष्टलक्ष्मी की मूर्तियाँ एक साथ स्थापित की जाती हैं और उनकी सामूहिक रूप से पूजा की जाती है। यह इस बात का प्रतीक है कि जीवन में पूर्ण सुख और समृद्धि के लिए सभी आठ पहलुओं का संतुलन होना आवश्यक है।