




सन्नति
Sannati
(Village in Karnataka, India)
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सन्नाटी: भिमा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा गांव
**सन्नाटी** या **सन्नाथी** उत्तरी कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के चितपुर तालुक में भिमा नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा गांव है। यह चंद्रला परमेश्वरी मंदिर और 1986 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए उत्खनन के लिए जाना जाता है।
सन्नाटी का इतिहास और महत्व:
- सन्नाटी प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है।
- इस क्षेत्र में कई प्राचीन मंदिर और स्मारक पाए गए हैं, जो इस गांव के समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं।
- चंद्रला परमेश्वरी मंदिर एक प्रमुख स्थल है, जो देवी चंद्रला परमेश्वरी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और कलात्मक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
- 1986 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सन्नाटी में उत्खनन किया, जिसके दौरान कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले। इनमें प्राचीन मंदिर, मूर्तियां, शिलालेख और अन्य कलाकृतियां शामिल हैं।
- ये उत्खनन सन्नाटी के इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें इस गांव की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के बारे में और जानकारी देते हैं।
सन्नाटी में देखने लायक स्थान:
- चंद्रला परमेश्वरी मंदिर: यह मंदिर सन्नाटी का मुख्य आकर्षण है।
- प्राचीन मंदिर और स्मारक: सन्नाटी में कई प्राचीन मंदिर और स्मारक हैं जो देखने लायक हैं।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संग्रहालय: यह संग्रहालय सन्नाटी में किए गए उत्खनन में मिले अवशेषों का प्रदर्शन करता है।
सन्नाटी कैसे पहुंचें:
- सन्नाटी कलबुर्गी से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।
- आप कलबुर्गी से बस या टैक्सी द्वारा सन्नाटी पहुंच सकते हैं।
- यहां रेलवे स्टेशन नहीं है, इसलिए निकटतम रेलवे स्टेशन कलबुर्गी है।
सन्नाटी में रहना:
- सन्नाटी में रहने के लिए सीमित विकल्प हैं, इसलिए कलबुर्गी में होटल बुक करना बेहतर है।
सन्नाटी की यात्रा का सबसे अच्छा समय:
- सन्नाटी घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है, जब मौसम सुहावना होता है।
सन्नाटी के बारे में अधिक जानने के लिए, आप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
Sannati or Sannathi is a small village, located on the banks of the Bhima River in Chitapur taluk of Kalaburagi district of Northern Karnataka. It is known for the Chandrala Parameshwari Temple and the excavations by the Archaeological Survey of India done in 1986.