





देवी
Devi
(Term for goddess in Hinduism)
Summary
देवी: हिन्दू धर्म में नारी शक्ति का प्रतीक
"देवी" संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "देवी"। यह शब्द "देव" का स्त्रीलिंग रूप है, जिसका अर्थ "देवता" होता है। दोनों ही शब्द "दिव्य", "स्वर्गीय" और "उत्कृष्ट" का बोध कराते हैं। हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को सम्बोधित करने के लिए इनका प्रयोग लिंग भेद के साथ किया जाता है।
देवी की अवधारणा और उनका सम्मान वेदों से ही मिलता है, जिनकी रचना दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। हालाँकि, उस युग में देवी का उतना महत्वपूर्ण स्थान नहीं था जितना बाद में बना। दुर्गा, काली, लक्ष्मी, पार्वती, राधा, सरस्वती और सीता जैसी देवियाँ आधुनिक युग में भी पूजनीय हैं।
मध्ययुगीन काल के पुराणों में देवी से जुड़ी पौराणिक कथाओं और साहित्य का व्यापक विस्तार हुआ। "देवी महात्म्य" जैसे ग्रंथों में देवी को परम सत्य और सर्वोच्च शक्ति के रूप में दर्शाया गया है। देवी ने हिन्दू धर्म की शाक्त परंपरा को प्रेरित किया है।
शाक्त और शैव परंपराओं में देवी को केंद्रीय स्थान प्राप्त है। शाक्त मत में देवी को ही सर्वोच्च सत्ता माना जाता है, जबकि शैव मत में देवी, शिव की शक्ति के रूप में पूजनीय हैं।
देवी की अवधारणा का विस्तार:
- वेदों में: वेदों में उषा, अदिति, पृथ्वी आदि देवियों का वर्णन मिलता है, लेकिन उनकी भूमिका सीमित है।
- पुराणों में: पुराणों में देवी की महिमा का विस्तार से वर्णन हुआ है। दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत पुराण आदि ग्रंथ देवी की महिमा का गुणगान करते हैं।
- स्थानीय मान्यताएं: अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय देवियों की पूजा भी होती है, जैसे - शीतला माता, संतोषी माँ आदि।
देवी का महत्व:
- नारी शक्ति का प्रतीक: देवी, नारी शक्ति, सृजन शक्ति और पालन शक्ति का प्रतीक हैं।
- सकारात्मक गुणों का प्रतीक: देवी, प्रेम, करुणा, दया, क्षमा, धैर्य, शक्ति आदि सकारात्मक गुणों की प्रतीक मानी जाती हैं।
- भक्तों की रक्षा करने वाली: देवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाती हैं।
हिन्दू धर्म में देवी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे माँ, शक्ति, ज्ञान और मुक्ति का प्रतीक हैं।