





कामाख्या
Kamakhya
(Hindu tantric goddess)
Summary
कामाख्या देवी: कामनाओं की अधिष्ठात्री
कामाख्या (संस्कृत: कामाख्या, रोमन लिपि: Kāmākhyā) एक शक्तिशाली तांत्रिक देवी हैं, जिन्हें काम (इच्छा) का अवतार माना जाता है। वे कामनाओं की देवी के रूप में पूजनीय हैं। इनका निवास स्थान असम, भारत के कामरूप क्षेत्र में स्थित कामाख्या मंदिर है। मूल रूप से किरात देवी होने के कारण, कामाख्या कम से कम 7वीं शताब्दी ईस्वी तक ब्राह्मणवादी प्रभाव से बाहर रहीं।
गुवाहाटी के पश्चिम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित, 10वीं/11वीं शताब्दी में निर्मित और 1565 ईस्वी में पुनर्निर्मित इस मंदिर में, कामाख्या देवी को एक अनाकार और मानवरूपहीन रूप में पूजा जाता है। यह रूप एक योनि के आकार के पत्थर का है, जिसे एक सदा बहने वाली धारा से जल प्राप्त होता है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में प्रमुख है और सबसे महत्वपूर्ण शाक्त मंदिरों में से एक है।
विस्तृत विवरण:
किरात देवी का ब्राह्मणवादी समावेश: कामाख्या देवी का मूल किरात देवी के रूप में होना, उनके ब्राह्मण धर्म से अलग अस्तित्व को दर्शाता है। यह उनके तांत्रिक स्वरूप और पूजा पद्धति में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। बाद में, ब्राह्मण धर्म ने उन्हें अपने धार्मिक ढाँचे में समाहित किया, लेकिन उनकी मूल तांत्रिक पहचान बरकरार रही।
अनाकार रूप और योनि पूजन: कामाख्या देवी का अनाकार रूप और योनि के रूप में पूजन, उनके शक्तिशाली, प्रजनन क्षमता से जुड़े और मातृत्व के प्रतीक होने को दर्शाता है। यह पूजा पद्धति तांत्रिक परंपराओं से जुड़ी हुई है।
नीलाचल पहाड़ियों का महत्व: नीलाचल पहाड़ियाँ अपने आप में पवित्र माने जाते हैं और कामाख्या मंदिर की पवित्रता को और बढ़ाते हैं। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शक्ति से परिपूर्ण है।
51 शक्ति पीठों में प्रमुखता: 51 शक्ति पीठों में से एक होने के नाते, कामाख्या मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह शक्तिपीठों में सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध में से एक है। यह तथ्य देवी की शक्ति और प्रभाव को दर्शाता है।
कामनाओं की पूर्ति: कामाख्या देवी को कामनाओं की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए यहाँ आते हैं और देवी से प्रार्थना करते हैं।
यह विवरण कामाख्या देवी और उनके मंदिर के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है, जिसमें उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, पूजा पद्धति और महत्व शामिल हैं।