





शक्ति
Shakti
(Personification of divine feminine energy and power in Hinduism)
Summary
Shakti: हिन्दू धर्म में शक्ति का महत्व
सरल भाषा में:
शक्ति का अर्थ है ऊर्जा, सामर्थ्य, ताकत, प्रयास और क्षमता। हिन्दू धर्म में, शक्ति एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो हर चीज के पीछे की मौलिक और रहस्यमय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। यह वह शक्ति है जो सृष्टि को चलाती है और बनाए रखती है।
शक्ति और देवी-देवता:
हिन्दू धर्म में, शक्ति को स्त्री रूप में माना जाता है और इसे देवताओं की पत्नियों के रूप में पूजा जाता है। यह देवताओं को शक्ति प्रदान करती है और उनके साथ मिलकर सृष्टि का संचालन करती है।
शक्ति और शिव:
शिव और शक्ति का संबंध हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शिव को पुरुष और शक्ति को प्रकृति माना गया है। शक्ति के बिना शिव निष्क्रिय हैं, जैसे एक शव। शक्ति ही शिव को क्रियाशील बनाती है।
मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण:
मनोविज्ञान में, युंग ने एनिमा/एनिमस की अवधारणा दी है जो मनुष्यों को प्रेरित करती है। यह अवधारणा शक्ति के समान है, जो हमें जीवंत और क्रियाशील बनाती है।
ब्रह्म और शक्ति:
हिन्दू धर्म में, ब्रह्म को सर्वोच्च सत्ता माना जाता है, और शक्ति को ब्रह्म का ही एक रूप माना जाता है। ब्रह्म स्थिर है, जबकि शक्ति गतिशील है। दोनों एक ही सत्ता के दो पहलू हैं।
स्मार्त परंपरा:
स्मार्त परंपरा में, आदि शक्ति को भगवान के पांच समान रूपों में से एक माना जाता है। आदि शंकर ने इस मान्यता को बढ़ावा दिया ताकि विभिन्न हिंदू दर्शनों के बीच एकता और घरेलू पूजा को बढ़ावा मिले।
विस्तार से:
- शक्ति को अक्सर देवी दुर्गा, काली, पार्वती आदि के रूप में पूजा जाता है।
- शक्ति की पूजा नवरात्रि, दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों के दौरान विशेष रूप से की जाती है।
- तंत्र साधना में शक्ति को जागृत करने पर जोर दिया जाता है।
- शक्ति की अवधारणा हमें यह सिखाती है कि स्त्री और पुरुष दोनों ही सृष्टि के लिए महत्वपूर्ण हैं और एक दूसरे के पूरक हैं।
संक्षेप में:
शक्ति हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो ब्रह्मांड की मौलिक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। यह देवताओं को शक्ति प्रदान करती है और सृष्टि के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।