





इशाना
Ishana
(Hindu direction deity)
Summary
ईशान: उत्तर-पूर्व के देवता
ईशान एक हिंदू देवता हैं जो उत्तर-पूर्व दिशा के दिक्पाल हैं। उन्हें अक्सर भगवान शिव के एक रूप के रूप में माना जाता है और ग्यारह रुद्रों में से एक भी माना जाता है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म के कुछ संप्रदायों और जैन धर्म में उनकी पूजा की जाती है। वास्तु शास्त्र में, भूमि के भूखंड के उत्तर-पूर्वी कोने को "ईशान" कहा जाता है। ईशान, संहार भैरव के गुणों को भी साझा करते हैं और इसलिए अष्ट भैरव का एक हिस्सा हैं।
आइए इस जानकारी को और विस्तार से समझते हैं:
दिक्पाल: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आठ दिशाओं की रक्षा आठ दिक्पाल करते हैं। ईशान उत्तर-पूर्व दिशा के रक्षक देवता हैं।
शिव का रूप: ईशान को अक्सर भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। शिव के अनेक रूप और नाम हैं, और ईशान उनमें से एक है।
ग्यारह रुद्र: रुद्र, भगवान शिव के उग्र और प्रचंड रूप हैं। ईशान को ग्यारह रुद्रों में से एक माना जाता है, जो उनकी शक्ति और प्रभुत्व को दर्शाता है।
वास्तु शास्त्र: यह भारतीय वास्तुकला का प्राचीन विज्ञान है जो घर और इमारतों के निर्माण में दिशाओं और ऊर्जा के प्रवाह के महत्व पर जोर देता है। वास्तु शास्त्र में, ईशान कोण को अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह दिशा ज्ञान, बुद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतिनिधित्व करती है।
संहार भैरव: भैरव, शिव के उग्र और रक्षक रूप हैं। संहार भैरव, भैरव का एक रूप है जो संहार और विनाश से जुड़ा है। ईशान, संहार भैरव के गुणों को साझा करते हैं, जो उनकी शक्ति और प्रभुत्व को दर्शाता है।
अष्ट भैरव: अष्ट भैरव, भगवान शिव के आठ उग्र और रक्षक रूप हैं। ईशान को अष्ट भैरव में से एक माना जाता है, जो उनकी शक्ति और महत्व को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, ईशान एक महत्वपूर्ण हिंदू देवता हैं जो उत्तर-पूर्व दिशा, ज्ञान, बुद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें शिव और भैरव के रूप में भी पूजा जाता है, जो उनकी शक्ति और प्रभुत्व को दर्शाता है।