पितृ पक्ष

Pitru Paksha

(16–lunar day period in Hindu calendar for ancestral worship)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

पितृ पक्ष: पूर्वजों का पखवाड़ा (हिंदी में विस्तृत व्याख्या)

पितृ पक्ष, जिसे पितृ पक्ष, पित्री पक्ष, पित्री पोक्खो, सोलह श्राद्ध, कनागत, जितिया, महालय, अपरा पक्ष और अखाडपक जैसे कई नामों से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर में 16 चंद्र दिनों की एक अवधि है। इस दौरान हिंदू अपने पूर्वजों (पितरों) को, विशेष रूप से भोजन अर्पित करके, श्रद्धांजलि देते हैं।

पितृ पक्ष का क्या अर्थ है?

"पितृ" का अर्थ है "पिता" और "पक्ष" का अर्थ है "पखवाड़ा", इस प्रकार "पितृ पक्ष" का अर्थ हुआ "पिता और उनके पूर्वजों का पखवाड़ा"। यह समय पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का होता है।

पितृ पक्ष कब मनाया जाता है?

दक्षिण और पश्चिम भारत में, यह भाद्रपद (सितंबर) के हिंदू चंद्र मास के दूसरे पक्ष (पखवाड़े) में पड़ता है और गणेश उत्सव के तुरंत बाद वाले पखवाड़े से शुरू होता है। यह प्रतिपदा (पखवाड़े के पहले दिन) से शुरू होकर अमावस्या के दिन समाप्त होता है जिसे सर्वपितृ अमावस्या, पितृ अमावस्या, पेद्दला अमावस्या या महालय अमावस्या (केवल महालय) कहा जाता है। अधिकांश वर्षों में, शरद ऋतु विषुव इसी अवधि में पड़ता है, अर्थात सूर्य इसी अवधि के दौरान उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध में संक्रमण करता है। उत्तर भारत और नेपाल में, और पूर्णिमान्त कैलेंडर या सौर कैलेंडर का पालन करने वाली संस्कृतियों में, यह अवधि भाद्रपद के बजाय, अश्विन के कृष्ण पक्ष से मेल खा सकती है।

पितृ पक्ष के दौरान क्या करते हैं?

इस दौरान श्राद्ध या तर्पण नामक मृत्यु संस्कार किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने प्रियजनों के साथ रहते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए लोग तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दान दिया जाता है। यह समय पितरों के लिए प्रार्थना करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का भी होता है।

पितृ पक्ष क्यों मनाया जाता है?

यह पर्व हमें याद दिलाता है कि मृत्यु जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है और हमें अपने पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए। यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि मृत्यु के बाद भी हमें याद रखा जाए।

पितृ पक्ष से जुड़ी मान्यताएं:

  • ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना मिलता है।
  • इस दौरान नए कार्य या व्यवसाय की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
  • मांसाहार और मदिरापान से बचना चाहिए।
  • पितरों का अपमान नहीं करना चाहिए और ना ही किसी के साथ बुरा व्यवहार करना चाहिए।

पितृ पक्ष का महत्व:

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने और स्वीकार करने में भी मदद करता है।


Pitru Paksha, also spelt Pitri Paksha, is a 16-lunar day period in the Hindu calendar when Hindus pay homage to their ancestors (Pitrs), especially through food offerings. The period is also known as Pitri Paksha/Pitr-Paksha, Pitri Pokkho, Sorah Shraddha, Kanagat, Jitiya, Mahalaya, Apara Paksha and akhadpak.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙