





कोर्रावाई
Korravai
(Tamil goddess)
Summary
कोर्रवाई: तमिल परंपरा की एक शक्तिशाली देवी
कोर्रवाई (तमिल: கொற்றவை) तमिल परंपरा में युद्ध और विजय की देवी हैं। वह सिर्फ़ योद्धाओं की देवी नहीं हैं, बल्कि माँ देवी, उर्वरता, कृषि और शिकारियों की देवी भी हैं। दक्षिण भारत और श्रीलंका में, उन्हें अक्सर अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि अथा, मारी, सुली और नीली। तमिल मान्यताओं के अनुसार, वह आदिशक्ति पार्वती का ही एक रूप हैं।
प्राचीन जड़ें:
कोर्रवाई का उल्लेख तमिल साहित्य के सबसे पुराने कार्यों में मिलता है, जिससे पता चलता है कि वह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण देवी हैं।
- संगम साहित्य: तमिल भाषा का सबसे पहला व्याकरण ग्रंथ तोलकाप्पियम, जो प्राचीन संगम साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, उसमें कोर्रवाई का उल्लेख मिलता है।
- परिपाटल: यह प्राचीन तमिल कविताओं का एक संग्रह है, जिसमें कोर्रवाई की स्तुति में कई कविताएँ समर्पित हैं।
- पट्टुप्पाट्टु: यह 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी के बीच रचित लंबी तमिल कविताओं का एक संग्रह है, जिसमें नेडुनालवादै, मदुरैकान्ची, पोरुनराऱ्ऱुप्पटै, और पट्टिनप्पलै जैसी रचनाएँ शामिल हैं, जिनमें कोर्रवाई का उल्लेख मिलता है।
- सिलप्पदिकारम: यह दूसरी शताब्दी का एक तमिल महाकाव्य है, जिसमें कोर्रवाई को पलाई क्षेत्र की देवी बताया गया है।
नाम और अर्थ:
उनका नाम तमिल शब्द "कोर्रम" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "विजय", "सफलता", या "वीरता"।
बहुरूपी देवी:
कोर्रवाई केवल युद्ध की देवी नहीं हैं, बल्कि उनका व्यक्तित्व और भूमिकाएँ बहुत विस्तृत हैं:
- माँ देवी: वह एक रक्षक और पोषक के रूप में पूजी जाती हैं।
- उर्वरता और कृषि की देवी: पारंपरिक ग्रामीण समुदाय अपनी पहली फसल उन्हें अर्पित करते हैं।
- रक्त की प्यासी योद्धा: सिलप्पदिकारम और अगननुरु जैसे कुछ ग्रंथों में वर्णन है कि योद्धा भक्त उन्माद में उन्हें अपना सिर चढ़ा देते थे।
प्रतीक और चित्रण:
- वाहन: कालाईमान (काला हिरण) को कोर्रवाई का वाहन माना जाता है। कभी-कभी उन्हें शेर की सवारी करते हुए भी दिखाया जाता है, जैसे कि महाबलीपुरम, तमिलनाडु के स्मारकों के समूह में 7वीं शताब्दी के मंडपम में।
- हथियार: उन्हें अक्सर कई भुजाओं वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिनके हाथों में विभिन्न प्रकार के हथियार होते हैं।
- परिवार: कहा जाता है कि वह भगवान मुरुगन की वास्तविक माँ हैं। शिव के साथ पार्वती के रूप में उनके अन्य बच्चे भी हैं।
पूजा:
कोर्रवाई की पूजा में जानवरों और पौधों की बलि और नृत्य अनुष्ठान शामिल हैं।
कोर्रवाई तमिल संस्कृति और आस्था का एक अभिन्न अंग हैं, जो शक्ति, वीरता, उर्वरता और मातृत्व का प्रतीक हैं।