





बर्बरीक
Barbarika
(Hindu deity)
Summary
बर्बरीक: महाभारत के एक गुमनाम योद्धा
बर्बरीक, महाभारत के एक शक्तिशाली योद्धा थे, जिनका उल्लेख महाभारत के विभिन्न संस्करणों में मिलता है। वे भीम पुत्र घटोत्कच और दैत्य मूरा की पुत्री राजकुमारी मौरवी के पुत्र थे। कुछ अन्य स्रोतों के अनुसार, वे दक्षिण भारत के एक योद्धा थे।
बर्बरीक में अद्भुत युद्ध कौशल था और वे कुछ ही क्षणों में युद्ध का रुख बदलने की क्षमता रखते थे। उन्हें तीन अभेद्य बाण प्राप्त हुए थे और उनकी माँ मौरवी ने उन्हें वचन दिया था कि वे हमेशा युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे।
नेपाल में, किराती राजा यलम्बर को महाभारत के बर्बरीक, घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते के रूप में माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बर्बरीक महाभारत के युद्ध में मारे गए थे, जिसमें देवताओं और मनुष्यों ने एक-दूसरे के साथ युद्ध किया था। किंवदंती है कि उन्होंने स्वर्ग के देवता इंद्र से मुलाकात की थी, जो मानव रूप धारण करके काठमांडू घाटी में गए थे। काठमांडू घाटी के निवासी उन्हें आकाश भैरव के रूप में चित्रित करते हैं।
भारत में बर्बरीक की पूजा अलग-अलग रूपों में की जाती है। राजस्थान में, बर्बरीक को खाटू श्याम मंदिर में खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है, और गुजरात में, उन्हें बलियादेव के रूप में पूजा जाता है।
बर्बरीक की कहानी हमें यह सिखाती है:
- सच्ची वीरता: बर्बरीक ने हमेशा कमजोरों का साथ देने का वचन निभाया, भले ही इसका मतलब अपनी जान देना हो।
- बल का सही उपयोग: बर्बरीक के पास असीम शक्ति थी, लेकिन उन्होंने इसका उपयोग विवेक और न्याय के लिए किया।
- त्याग और समर्पण: बर्बरीक ने धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन त्याग दिया, जो उनके महान चरित्र को दर्शाता है।
हालांकि बर्बरीक की भूमिका महाभारत के युद्ध में सीमित थी, लेकिन उनकी कहानी हमें प्रेरणा देती है और हमें सच्चे वीरता, न्याय और बलिदान का महत्व सिखाती है।