





महागौरी
Mahagauri
(Eighth form of goddess Durga)
Summary
महागौरी: नवरात्रि की अष्टमी की देवी
महागौरी हिन्दू धर्म में देवी दुर्गा के नौ रूपों, नवदुर्गा, में से आठवें रूप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन, जिसे अष्टमी कहा जाता है, उनकी पूजा की जाती है। "महा" का अर्थ है महान और "गौरी" का अर्थ है गोरी या श्वेत वर्ण वाली।
कैसे प्राप्त हुआ महागौरी नाम?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के कारण उनके शरीर पर धूल और मिट्टी जम गई थी, जिससे उनका रंग काला पड़ गया था। जब उनकी तपस्या सफल हुई और भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया, तो उन्होंने गंगा नदी के पवित्र जल से देवी पार्वती को स्नान कराया। इस स्नान से देवी पार्वती का रंग अत्यंत गौर वर्ण का हो गया और तब से उन्हें महागौरी के नाम से जाना जाने लगा।
महागौरी का स्वरूप:
- महागौरी को श्वेत वस्त्रों में सुशोभित, श्वेत वृषभ पर विराजमान और चार भुजाओं वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है।
- उनके ऊपरी दाहिने हाथ में त्रिशूल और ऊपरी बाएं हाथ में डमरू होता है।
- निचले दाहिने हाथ से वह अभय मुद्रा में हैं और निचले बाएं हाथ से भक्तों को वरदान देती हैं।
महागौरी की पूजा का महत्व:
मान्यता है कि महागौरी सभी प्रकार के पापों और कष्टों का नाश करने वाली देवी हैं। इनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि, धन, धान्य और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि महागौरी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करती हैं।