





परशुराम
Parashurama
(Sixth avatar of Hindu god Vishnu)
Summary
परशुराम: विष्णु का छठा अवतार
परशुराम, जिन्हें राम जामदग्न्य, राम भार्गव और वीरराम के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में विष्णु के दशावतारों में छठा अवतार हैं। वे एक कुशल योद्धा और धनुर्धर थे, जिन्होंने अपनी कुल्हाड़ी (परशु) से कई युद्ध लड़े थे।
परशुराम का जन्म और जीवन:
परशुराम का जन्म ऋषि जामदग्न्य और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। उन्हें ब्राह्मण कुल में जन्म लेना था, लेकिन वे अपनी तपस्या और वीरता के कारण विष्णु के अवतार के रूप में जन्म लिए। उनका जन्म एक ऐसे समय में हुआ था जब पृथ्वी पर अन्याय और अत्याचार का बोलबाला था। क्षत्रिय वर्ग अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे थे, लोगों को सता रहे थे, और दूसरों की संपत्ति छीन रहे थे।
परशुराम की भूमिका:
परशुराम ने धरती पर न्याय स्थापित करने के लिए क्षत्रियों के साथ युद्ध किया और उन्हें पराजित किया। उन्होंने अपनी कुल्हाड़ी से क्षत्रियों का संहार किया, जिसके कारण उन्हें 'परशुराम' नाम दिया गया। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने क्षत्रियों का 21 बार संहार किया था। यह क्रोध और हिंसा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सदाचारी ब्राह्मण का दायित्व था, जो धर्म का पालन करे और असुरों और अत्याचारियों का नाश करे।
परशुराम और अन्य महाकाव्यों में:
परशुराम रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी दिखाई देते हैं। रामायण में, राम और परशुराम के बीच संघर्ष होता है, क्योंकि परशुराम राम के पिता दशरथ से उनके राज्य को वापस माँगते हैं। महाभारत में, परशुराम भीष्म, द्रोणाचार्य, रुक्मी और कर्ण जैसे महान योद्धाओं के गुरु थे।
परशुराम की विशेषताएं:
परशुराम विष्णु के अवतार होने के कारण धर्म, न्याय और क्षमा के प्रतीक थे। वे एक महान योद्धा, धनुर्धर, और गुरु थे, लेकिन साथ ही वे एक ब्राह्मण थे, जिन्होंने अपनी तपस्या और ज्ञान से लोगों का मार्गदर्शन किया।
परशुराम और भविष्य:
परशुराम को 'चिरंजीवी' कहा जाता है, अर्थात वे अमर हैं और कलयुग के अंत में भी जीवित रहेंगे। ऐसा माना जाता है कि वे कलयुग के अंत में विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि के गुरु बनेंगे।
निष्कर्ष:
परशुराम एक महान योद्धा और विष्णु के छठे अवतार थे। उनका जीवन और कारनामे धर्म, न्याय, क्षमा, और क्षत्रिय वर्ण के अत्याचारों के विरोध का प्रतीक हैं। वे एक महान योद्धा, धनुर्धर, गुरु और ब्राह्मण थे, जिन्होंने अपनी कुल्हाड़ी से अन्याय का नाश किया और धरती पर न्याय स्थापित करने की कोशिश की।