





लज्जा गौरी
Lajja Gauri
(Lotus-headed Hindu Goddess associated with abundance, fertility and sexuality)
Summary
लज्जा गौरी: बहुतायत, उर्वरता और कामुकता की देवी
लज्जा गौरी एक कमल-मुखी हिंदू देवी हैं जो बहुतायत, उर्वरता और कामुकता से जुड़ी हैं। इन्हें कभी-कभी विनम्रता (लज्जा) के रूप में भी व्यक्त किया जाता है, जो इनकी एक विशेषता के रूप में प्रस्तुत की जाती है। यह एक सूक्ष्म और महत्वपूर्ण पहलू है जो इनके व्यक्तित्व को परिभाषित करता है।
इनके चित्रण में अक्सर एक प्रसव की मुद्रा देखने को मिलती है, हालांकि गर्भावस्था के बाहरी लक्षण इनमें स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। यह एक गूढ़ तत्व है जो इनकी शक्ति और रहस्यमय स्वभाव को दर्शाता है। यह संकेत देता है कि लज्जा गौरी का संबंध केवल शारीरिक प्रजनन से नहीं, अपितु जीवन के सृजन और पोषण के गूढ़ पहलुओं से भी है। उनका कमल का मुख, पवित्रता और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है, जबकि प्रसव की मुद्रा, सृजन और नव जीवन की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करती है।
लज्जा गौरी की पूजा मुख्यतः उर्वरता और संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएँ इनकी पूजा करके स्वस्थ बच्चे और समृद्ध परिवार की कामना करती हैं। हालांकि, इनकी पूजा का दायरा केवल प्रजनन तक सीमित नहीं है। यह बहुतायत, समृद्धि और जीवन के सभी पहलुओं में पूर्ति की कामना से भी जुड़ा है।
लज्जा गौरी की आराधना में प्रायः विशेष मंत्रों और अनुष्ठानों का उपयोग किया जाता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं द्वारा संरक्षित और प्रसारित किए जाते हैं। यह दर्शाता है कि लज्जा गौरी की पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि महिलाओं के जीवन और अनुभवों से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसी देवी हैं जिनके साथ महिलाएं अपनी गोपनीयता और आशाओं को साझा करती हैं।
संक्षेप में, लज्जा गौरी केवल एक देवी नहीं, बल्कि एक प्रतीक हैं जो महिलाओं की शक्ति, उर्वरता, गोपनीयता और जीवन के सभी पहलुओं में बहुतायत को दर्शाती हैं। उनका चित्रण और पूजा विधि हिंदू धर्म और महिलाओं के जीवन के बीच गहरे संबंध को उजागर करता है।