





चंद्रघंटा
Chandraghanta
(Third form of goddess Durga)
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चंद्रघंटा: नवरात्रि की तीसरी शक्ति
हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी के नौ रूपों, नवदुर्गा, में से तीसरे रूप हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। उनका नाम "चंद्र-घंटा" है, जिसका अर्थ है "जिसके पास घंटी के आकार का अर्धचंद्र है"।
चंद्रघंटा का स्वरुप:
- माँ चंद्रघंटा का वर्ण सोने के समान चमकीला है।
- उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है।
- उनके दस हाथ हैं जिनमें खड्ग, त्रिशूल, धनुष-बाण, कमल, जप माला, कमंडल आदि शोभायमान हैं।
- वे सिंह पर सवार रहती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
चंद्रघंटा का महत्व:
- माँ चंद्रघंटा की तीसरी आँख हमेशा खुली रहती है, जो बुराई के खिलाफ उनकी निरंतर तत्परता का प्रतीक है।
- उन्हें चंद्रखंडा, वृकवाहिनि या चंद्रिका भी कहा जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि वे अपने भक्तों को कृपा, वीरता और साहस प्रदान करती हैं।
- उनकी कृपा से सभी पाप, कष्ट, शारीरिक पीड़ा, मानसिक क्लेश और भूतिया बाधाएं दूर हो जाती हैं।
चंद्रघंटा की पूजा:
- नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, शत्रु और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन उन्हें शहद का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है।
- माँ चंद्रघंटा की पूजा से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मन को शांति मिलती है।
संक्षेप में, माँ चंद्रघंटा शक्ति, साहस और सुरक्षा की देवी हैं। उनकी पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को निर्भयता का वरदान मिलता है।
In Hinduism, Chandraghanta is the third navadurga aspect of goddess Mahadevi, worshipped on the third day of Navaratri. Her name Chandra-Ghanta, means "one who has a half-moon shaped like a bell". Her third eye is always open, signifying her perpetual readiness for battle against evil. She is also known as Chandrakhanda, Vrikahvahini or Chandrika. She is believed to reward people with her grace, bravery and courage. By her grace, all the sins, distresses, physical sufferings, mental tribulations and ghostly hurdles of the devotees are eradicated.