





सिद्धिदात्री
Siddhidhatri
(Ninth form of goddess Durga)
Summary
सिद्धिदात्री: नवदुर्गा की पूर्णता
सिद्धिदात्री, हिन्दू धर्म में पूजित माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों, नवदुर्गा, में से नवमी और अंतिम हैं। 'सिद्धि' का अर्थ है अलौकिक शक्ति या ध्यान योग्यता और 'दात्री' का अर्थ है देने वाली या प्रदान करने वाली। नवरात्रि के नौवें दिन इन्ही माँ की आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूर्ण करती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का आधा शरीर माँ सिद्धिदात्री का ही है। इसी कारण से उन्हें अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है। वेदों में वर्णित है कि भगवान शिव ने समस्त सिद्धियों को माँ सिद्धिदात्री की ही आराधना करके प्राप्त किया था।
आइए, इस जानकारी को और विस्तार से समझते हैं:
- नवदुर्गा: नवरात्रि के नौ दिनों में, माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन्हीं नौ रूपों को मिलाकर नवदुर्गा कहा जाता है।
- सिद्धि: 'सिद्धि' किसी भी कार्य को सिद्ध करने की अलौकिक क्षमता को कहते हैं। योग साधना, तपस्या आदि के द्वारा मनुष्य अनेक प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त कर सकता है।
- अर्धनारीश्वर: 'अर्धनारीश्वर' भगवान शिव का एक रूप है जिसमें उनके शरीर का आधा भाग स्त्री (पार्वती) का और आधा भाग पुरुष (शिव) का होता है। यह रूप स्त्री और पुरुष के शाश्वत और अभिन्न संबंध को दर्शाता है।
इस प्रकार, सिद्धिदात्री माँ की पूजा से न केवल भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है बल्कि उन्हें जीवन में सफलता और समृद्धि भी प्राप्त होती है।