बूटा कोला

Buta Kola

(Ritual folk dance and divination from India)

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बूटा कोला: तुलुनाडु का एक शक्तिशाली नृत्य

बूटा कोला, जिसे दैव कोला या दैव नेमा के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक के तुलुनाडु और मलेनाडु के कुछ हिस्सों और केरल के उत्तरी कसर्गोड में हिंदुओं के बीच प्रचलित एक शामानीय नृत्य प्रदर्शन है। यह नृत्य अत्यधिक शैलीबद्ध है और 'भूतराधने' या स्थानीय देवताओं की पूजा के भाग के रूप में किया जाता है, जिन्हें तुलु भाषा बोलने वाली आबादी पूजती है। इसने यक्षगान लोक रंगमंच को प्रभावित किया है। बूटा कोला उत्तरी मालाबार क्षेत्र के थेय्यम से निकटता से संबंधित है।

विवरण:

  • नृत्य का उद्देश्य: बूटा कोला मुख्य रूप से स्थानीय देवताओं, जिन्हें 'बूटा' के रूप में जाना जाता है, को खुश करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ये देवता प्रकृति की शक्तियों, पूर्वजों या नायक पुरुषों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • नृत्य की शैली: बूटा कोला एक शक्तिशाली और भावनात्मक नृत्य है जिसमें तेज़ गति, जटिल पैर के काम और अभिव्यंजक हाव-भाव शामिल हैं। नर्तक एक विशिष्ट पोशाक पहनते हैं जो देवता को दर्शाता है जिसे वे चित्रित कर रहे हैं।
  • संगीत: नृत्य को ढोल, चेंडा, ताल और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों से बने संगीत के साथ किया जाता है।
  • नर्तक: नर्तक, जिन्हें 'कोला' के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और नृत्य के दौरान देवता में खुद को पूरी तरह से डुबो देते हैं।
  • समय: बूटा कोला आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक उत्सवों और त्योहारों के दौरान आयोजित किया जाता है।

महत्व:

  • धार्मिक: बूटा कोला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का एक महत्वपूर्ण नृत्य है जो तुलुनाडु की सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। यह समुदायों को एक साथ लाता है और उनकी आध्यात्मिकता को पोषित करता है।
  • सांस्कृतिक: यह नृत्य स्थानीय पौराणिक कथाओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं को संरक्षित करता है।
  • शिल्प: बूटा कोला में उपयोग किए जाने वाले परिधान, आभूषण और वाद्ययंत्र स्थानीय शिल्प कला का प्रतिनिधित्व करते हैं।

निष्कर्ष:

बूटा कोला एक जीवंत और शक्तिशाली नृत्य प्रदर्शन है जो तुलुनाडु की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है। यह नृत्य न केवल स्थानीय देवताओं की पूजा करता है बल्कि लोक कला, संगीत और नृत्य को भी बढ़ावा देता है।


Būta Kōlā, also referred to as Daiva Kōlā or Daiva Nēmā, is a shamanistic dance performance prevalent among the Hindus of Tulu Nadu and parts of Malenadu of Karnataka and Kasargod in northern Kerala, India. The dance is highly stylized and performed as part of 'Bhootaradhane' or worship of the local deities worshipped by the Tulu speaking population. It has influenced Yakshagana folk theatre. Būta kōlā is closely related to Theyyam of North Malabar region.



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