लंकिनी

Lankini

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लंकिनी: लंका की संरक्षक राक्षसी

रामायण में, लंकिनी एक शक्तिशाली राक्षसी थी। उसका नाम "लंका की स्त्री" का शाब्दिक अर्थ रखता है क्योंकि वह स्वयं शहर का स्त्री रूप थी। वह लंका के द्वारों की संरक्षक थी, अर्थात लंका में प्रवेश करने वाले हर रास्ते की रखवाली लंकिनी करती थी।

यहां लंकिनी के बारे में कुछ और जानकारी दी गई है:

  • शक्तिशाली और भयांकर: लंकिनी अत्यंत शक्तिशाली और भयावह थी। उसके शरीर पर तेल और खून लगा रहता था, और उसके बाल बिखरे हुए और गंदे होते थे। उसकी आवाज़ गड़गड़ाहट जैसी भयानक होती थी, और उसके रूप को देखकर ही बहादुर से बहादुर योद्धा भी डर जाता था।
  • लंका की रक्षक: लंकिनी को रावण ने लंका की सीमाओं की रक्षा करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा था। कोई भी बिना उसकी अनुमति के लंका में प्रवेश नहीं कर सकता था।
  • हनुमान से पराजित: जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका गए, तो लंकिनी ने उन्हें प्रवेश करने से रोकने का प्रयास किया। हनुमान जी ने पहले उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वह नहीं मानी, तो हनुमान जी ने उसे युद्ध में हरा दिया।
  • हनुमान जी को आशीर्वाद: हनुमान जी के वार से लंकिनी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने हनुमान जी से क्षमा मांगी और उन्हें लंका में प्रवेश करने दिया। कुछ कथाओं में, वह हनुमान जी को रावण के महल तक पहुँचने का मार्ग भी बताती है।

कुल मिलाकर, लंकिनी रामायण का एक रोचक चरित्र है। वह हमें शक्ति, रक्षा और अंततः पश्चाताप के बारे में बताती है।


Lankini was a powerful demoness from the ancient Hindu epic Ramayana. Her name literally means "The woman of Lanka" as she was the female personification of the city itself and was the guardian to the doors of Lanka.



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