





सिनीवाली
Sinivali
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Summary
सिनीवाली: ऋग्वेद से महाभारत तक
सिनीवाली (संस्कृत: सिनीवाली, IAST: Sinīvālī) एक वैदिक देवी हैं, जिनका उल्लेख ऋग्वेद के दो सूक्तों, RV 2.32 और RV 10.184 में मिलता है।
ऋग्वेद में सिनीवाली:
RV 2.32.7-8: इस सूक्त में सिनीवाली को विस्तृत कूल्हों, गोरी बाहों और सुंदर उंगलियों वाली के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें उर्वरता और आसान प्रसव की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। यहाँ उन्हें गंगा, राका, सरस्वती, इंद्राणी और वरुणी के साथ मिलकर आवाहन किया गया है। यह वर्णन उनकी प्रजनन क्षमता और महिलाओं के लिए उनकी महत्ता को स्पष्ट करता है। वह माताओं और गर्भवती महिलाओं के लिए एक संरक्षक देवी के रूप में पूजी जाती थीं।
RV 10.184.2: इस सूक्त में, उन्हें गर्भ में भ्रूण को स्थापित करने के लिए सरस्वती के साथ मिलकर आवाहन किया गया है। यह उनके गर्भावस्था और प्रजनन से जुड़े कार्यों को और स्पष्ट करता है। यहाँ सिनीवाली और सरस्वती का संयुक्त आह्वान गर्भधारण और गर्भ की सुरक्षा के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
बाद के वैदिक ग्रंथों में:
बाद के वैदिक ग्रंथों में, सिनीवाली की पहचान राका से की जाती है, जो अमावस्या की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह उनके चंद्रमा से संबंध और महिलाओं के चक्रों से जुड़े धार्मिक विश्वासों को प्रदर्शित करता है।
अन्य ग्रंथों में:
सिनीवाली नाम विभिन्न अन्य ग्रंथों में भी मिलता है, जिनमें:
- महाभारत: अंगिरास की पुत्री के रूप में।
- ब्रह्म पुराण: धात्र की पत्नी और दर्श की माता के रूप में।
- एक अन्य संदर्भ में, सिनीवाली को दुर्गा का एक नाम भी माना गया है। यह विभिन्न देवी-देवताओं के बीच संबंधों और उनके नामों के विभिन्न रूपों को दर्शाता है।
संक्षेप में, सिनीवाली एक महत्वपूर्ण वैदिक देवी हैं जिनका संबंध प्रजनन, गर्भावस्था, और आसान प्रसव से है। उनका उल्लेख ऋग्वेद से लेकर महाभारत और ब्रह्म पुराण तक विभिन्न ग्रंथों में मिलता है, जो उनकी व्यापक पूजा और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। उनका नाम और उनकी भूमिका समय के साथ थोड़ी बदलती रही है, लेकिन उनका मूल स्वरूप प्रजनन और महिलाओं के साथ जुड़ा ही रहा।