





रेवती
Revati
(Consort of Hindu god Balarama)
Summary
Info
Image
Detail
Summary
रेवती: कृष्ण के बड़े भाई बलराम की पत्नी
रेवती हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवी हैं। वे राजा ककुदमी की पुत्री हैं और कृष्ण के बड़े भाई बलराम, जो दशावतारों में से एक हैं, की पत्नी हैं। रेवती का वर्णन महाभारत और भागवत पुराण जैसे कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है।
रेवती का जीवन:
- ककुदमी की पुत्री: रेवती राजा ककुदमी की पुत्री थीं, जो एक बहुत ही धार्मिक और ज्ञानी राजा थे। ककुदमी ने अपनी पुत्री रेवती को एक योग्य वर खोजने के लिए ब्रह्माजी के पास भेजा था।
- ब्रह्माजी से मुलाक़ात: ककुदमी ने ब्रह्माजी से अपनी पुत्री के लिए एक योग्य वर की खोज में मदद मांगी। ब्रह्माजी ने उन्हें बताया कि समय बहुत तेजी से चल रहा है और धरती पर 27 युग बीत चुके हैं, जबकि स्वर्ग में केवल कुछ ही दिन बीते हैं। उन्होंने ककुदमी को यह भी बताया कि उनके जाने के बाद, पृथ्वी पर कलयुग का आगमन हो चुका होगा।
- बलराम से विवाह: ब्रह्माजी ने रेवती को बलराम से विवाह करने का सुझाव दिया। बलराम, कृष्ण के बड़े भाई और यदुवंश के एक शक्तिशाली योद्धा थे। ककुदमी ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया और रेवती, बलराम की पत्नी बनीं।
- एक सुखी विवाह: रेवती और बलराम का विवाह बहुत ही सुखी रहा। उन्होंने एक साथ कई वर्षों तक खुशी से जीवन बिताया।
रेवती के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- धार्मिक महत्व: रेवती को एक धार्मिक देवी के रूप में पूजा जाता है।
- बलराम की पत्नी: रेवती का विवाह बलराम से होने के कारण, वह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
- ककुदमी की पुत्री: वे राजा ककुदमी की पुत्री होने के कारण, एक शक्तिशाली और ज्ञानी परिवार से आती हैं।
- समय का प्रतीक: रेवती की कहानी समय के सापेक्षता का प्रतीक है। स्वर्ग में बीते हुए कुछ दिन, धरती पर 27 युगों के बराबर थे।
निष्कर्ष:
रेवती, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे एक धार्मिक देवी होने के साथ-साथ, बलराम की पत्नी भी हैं। उनकी कहानी हमें समय के सापेक्षता और धार्मिक जीवन के महत्व के बारे में सिखाती है।
Revati is a goddess featured in Hindu scriptures. She is the daughter of King Kakudmi and the consort of Balarama, the elder brother of Krishna, and one of the Dashavatara. Her account is given within a number of Hindu texts such as the Mahabharata and the Bhagavata Purana.