





धिसाना
Dhisana
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Summary
धिषणा: वैदिक देवी का विस्तृत विवरण (हिंदी में)
धिषणा हिन्दू धर्म में समृद्धि की देवी हैं, जिनका उल्लेख ऋग्वेद के अधिकांश मंडलों के सूक्तों में मिलता है। उन्हें अग्नि, सूर्य, चंद्रमा और तारों की देवी के रूप में भी वर्णित किया गया है।
अन्य हिंदू ग्रंथों में, "धिषणा" शब्द का प्रयोग विभिन्न अर्थों में हुआ है, जैसे:
- सोम पात्र: वह पात्र जिसमें सोम रस रखा जाता था।
- ज्ञान और बुद्धि: ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक।
- वाणी: वाणी की देवी।
ऋग्वेद में, धिषणा को प्रचुरता की देवी और पवित्र अग्नि की संरक्षक माना गया है।
कई विद्वानों ने अपने अध्ययन और चर्चाओं में धिषणा का उल्लेख किया है, जिनमें दो प्रमुख जर्मन विद्वान, अल्फ्रेड हिलेब्रांड्ट और रिचर्ड पिशेल थे।
कुछ विद्वानों ने धिषणा को स्वर्ग और पृथ्वी, इन दो लोकों के रूप में व्याख्यायित किया है। हिलेब्रांड्ट ने धिषणा को मुख्य रूप से पृथ्वी और उनके निकट सम्बंधित तीन तत्वों - पृथ्वी, वायुमंडल और स्वर्ग - के समूह के रूप में वर्णित किया है। कुछ अन्य हिंदू ग्रंथों में धिषणा को उन दो तख्तों के रूप में दर्शाया गया है जिन पर सोम यज्ञ संपन्न होता था।
पिशेल ने धिषणा को अदिति और पृथ्वी के समान, धन की देवी माना है।
ऋग्वेद में धिषणा का उल्लेख निम्नलिखित मंडलों और सूक्तों में मिलता है: (यहाँ पर आप ऋग्वेद के मंडलों और सूक्तों की सूची दे सकते हैं जहाँ धिषणा का उल्लेख मिलता है)
संक्षेप में, धिषणा एक बहुआयामी वैदिक देवी हैं जिन्हें समृद्धि, ज्ञान, अग्नि और ब्रह्मांडीय शक्तियों से जोड़ा जाता है।