वृषाकपी

Vrishakapi

(Spiritual entity in Hinduism)

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वृषाकपि: एक वैदिक नाम और उसके अर्थ

"वृषाकपि" एक संस्कृत शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है "बैल जैसा वानर" या "शक्तिशाली वानर"। यह नाम वैदिक ग्रंथों में पाया जाता है, लेकिन बाद के ग्रंथों में इसे विष्णु, रुद्र या सूर्य के वैकल्पिक नाम के रूप में जाना जाता है।

वैदिक संदर्भ:

  • वैदिक ग्रंथों में, "वृषाकपि" का प्रयोग एक शक्तिशाली और उग्र देवता के लिए किया गया है जो ब्रह्मांडीय व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि यह नाम मूल रूप से इंद्र के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जो वैदिक काल के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक थे।

बाद के ग्रंथों में:

  • बाद के हिंदू धर्म में, "वृषाकपि" को विष्णु, रुद्र (शिव) या सूर्य के वैकल्पिक नाम के रूप में अपनाया गया था।
    • विष्णु: विष्णु को अक्सर वराह अवतार में "वृषाकपि" कहा जाता है, जहाँ उन्होंने पृथ्वी को समुद्र से बचाने के लिए सूअर का रूप धारण किया था।
    • रुद्र (शिव): शिव के उग्र रूप को भी "वृषाकपि" कहा जाता है, जो उनकी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है।
    • सूर्य: सूर्य को जीवनदायिनी शक्ति के रूप में देखा जाता है और उनकी तेजस्विता और शक्ति के कारण उन्हें "वृषाकपि" कहा जाता है।

निष्कर्ष:

"वृषाकपि" एक प्राचीन और बहुआयामी नाम है जिसका उपयोग विभिन्न देवताओं और उनकी विशेषताओं का वर्णन करने के लिए किया गया है। यह नाम शक्ति, उग्रता, जीवन शक्ति और ब्रह्मांडीय व्यवस्था के रक्षक का प्रतीक है।


Vrishakapi is a name found in vedic texts which in later texts is known as an alternative name of either Vishnu, Rudra or Surya.



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