तैंतीस देवता

Thirty-three gods

(Group of deities of Hinduism)

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तीस देवताएँ (त्रिदश): सरल हिंदी में विस्तृत व्याख्या

हिन्दू धर्म में, त्रिदश का अर्थ है "तीन दस" अर्थात तीस देवता। यह देवताओं का एक समूह है जो वर्तमान मन्वंतर (ब्रह्मा के दिन का एक भाग) में पूजनीय हैं।

वेदों के सबसे प्राचीन भाग, संहिताओं में, इन 33 देवताओं का उल्लेख मिलता है जिन्हें देव कहा गया है।

इन देवताओं का वर्गीकरण दो तरह से किया जाता है:

  • तीन लोक के अनुसार: स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक और अंतरिक्ष लोक - प्रत्येक लोक में 11 देवता।
  • ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार:
    • 12 आदित्य: सूर्य के बारह रूप जो साल के बारह महीनों के अधिपति हैं।
    • 11 रुद्र: शिव के ग्यारह भैरव रूप जो प्राण वायु के नियंत्रक हैं।
    • 8 वसु: ब्रह्मा के आठ मानस पुत्र जो सृष्टि के आठ तत्वों के अधिपति हैं।
    • 2 अश्विन: सूर्य के दो पुत्र जो आरोग्य और चिकित्सा के देवता हैं।

महत्व:

त्रिदश, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन देवताओं को सृष्टि के विभिन्न तत्वों का नियंत्रक माना जाता है और इनकी पूजा से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नोट:

त्रिदश और त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में अंतर है। त्रिदेव सृष्टि, पालन और संहार के प्रमुख देवता हैं, जबकि त्रिदश उनके अधीन विभिन्न कार्यों को संभालने वाले देवताओं का समूह है।


The Thirty-three gods, or Tridasha, is a pantheon of Hindu deities of the current manvantara. The Samhitas, which are the oldest layer of text in the Vedas, enumerate 33 deities classified as Devas, either 11 each for the three worlds, or as 12 Adityas, 11 Rudras, eight Vasus and two Ashvins in the Brahmanas.



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