





अकिलंदेश्वरी
Akilandeswari
(Hindu goddess)
Summary
अखिलंडेश्वरी: ब्रह्मांड की माँ
अखिलंडेश्वरी हिन्दू धर्म में आदि पराशक्ति का एक प्रमुख रूप हैं। उनका प्रसिद्ध निवास स्थान तमिलनाडु के तिरुवण्णामलाई में स्थित जम्बुकेश्वरार मंदिर है। इन्हें मीनाक्षी और कामाक्षी देवी के साथ सम्मिलित रूप से त्रिशक्ति त्रिमूर्ति के रूप में भी पूजा जाता है, जो शक्तिवाद में सबसे शक्तिशाली देवी हैं।
नाम का अर्थ:
अखिलंडेश्वरी नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है:
- अखिल: इसका अर्थ है संपूर्ण ब्रह्मांड।
- अंड: इसका अर्थ है ब्रह्मांडीय अंडा।
- ईश्वरी: इसका अर्थ है ईश्वर या देवी।
इस प्रकार, देवी, जो अपने गर्भ (ब्रह्मांडीय अंडा) में पूरे ब्रह्मांड की रक्षा करती हैं, उन्हें "अखिलंडेश्वरी" कहा जाता है।
जम्बुकेश्वरार मंदिर में:
अखिलंडेश्वरी जम्बुकेश्वरार मंदिर में अपने पति जम्बुकेश्वरार के साथ विराजमान हैं, जो भगवान शिव के एक अवतार हैं। इस मंदिर में अखिलंडेश्वरी को 'अकिलंद नायकी' के रूप में भी जाना जाता है।
महत्व:
अखिलंडेश्वरी को सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति के रूप में पूजा जाता है। वे भक्तों को बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं और उन्हें शक्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं।
अन्य:
- अखिलंडेश्वरी को अक्सर लाल रंग के वस्त्रों और आभूषणों में दर्शाया जाता है।
- उनके हाथों में त्रिशूल, डमरू, कमल आदि विभिन्न वस्तुएँ होती हैं जो उनकी शक्ति और सामर्थ्य को दर्शाती हैं।
- अखिलंडेश्वरी की पूजा भक्ति और समर्पण के साथ की जाती है, और उनके भक्तों का मानना है कि वे अपनी कृपा से सभी कष्टों को दूर कर सकती हैं।