





अप्सरा
Apsara
(Type of female spirit of the clouds and waters in Hindu and Buddhist culture)
Summary
अप्सराएँ: मोहक दिव्य नर्तकियाँ
अप्सराएँ हिन्दू और बौद्ध धर्म में वर्णित सुरम्य और आकर्षक दिव्य नर्तकियाँ हैं। ये बादलों और जल की आत्माओं के रूप में जानी जाती हैं, और "अप्सरा" शब्द का अर्थ ही "जल में विचरण करने वाली" होता है। ये देवताओं के महलों में रहती हैं और गंधर्वों द्वारा बनाए गए संगीत पर नृत्य करके उनका मनोरंजन करती हैं।
अप्सराओं का उद्भव नारायण से माना जाता है, जो प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं का एक प्रमुख देवता हैं।
अप्सराओं को सुंदर, जवान, सुंदर वस्त्रों से सजी और आकर्षक बताया गया है। कहा जाता है कि वे अपनी इच्छा से अपना रूप बदल सकती हैं, और उनकी सुंदरता ऐसी है कि कोई भी उन पर मोहित हो सकता है।
दो प्रकार की अप्सराएँ होती हैं:
- लौकिक: ये पृथ्वी पर जन्म लेती हैं और अपने सौंदर्य और नृत्य कला के लिए प्रसिद्ध होती हैं।
- दैविक: ये स्वर्ग में जन्म लेती हैं और देवताओं की सेवा में लगी रहती हैं।
अप्सराएं नृत्य कला में निपुण होती हैं और अक्सर गंधर्वों की पत्नियाँ होती हैं, जो इंद्र के दरबारी संगीतकार होते हैं। इंद्र के दरबार में 26 अप्सराएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक कला के एक अलग पहलू का प्रतीक है।
कुछ प्रसिद्ध अप्सराओं के नाम हैं:
- उर्वशी
- मेनका
- रंभा
- तिलोत्तमा
- घृताची
अप्सराओं को ऋषियों को मोहित करने और उन्हें तपस्या से विचलित करने के लिए भी जाना जाता है ताकि उन्हें दिव्य शक्तियाँ प्राप्त करने से रोका जा सके।
जापान में अप्सराओं को "टेन्निन" (天人) के रूप में जाना जाता है, जहाँ "टेन्नो" (天女) महिला टेन्निन और "टेन्नन" (天男) पुरुष टेन्निन के लिए प्रयोग किया जाता है।
अप्सराओं का वर्णन दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई संस्कृतियों के साहित्य, मूर्तियों, चित्रों और नृत्य में प्रमुखता से मिलता है।