Dāna

दाना

Dāna

(Concept of charity in Buddhism, Hinduism and Jainism)

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दान: उदारता का भारतीय संस्कार

दान एक संस्कृत और पाली शब्द है जो उदारता, दानशीलता या भिक्षा देने के गुण को दर्शाता है। यह भारतीय धर्मों और दर्शनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में, दान उदारता की भावना को विकसित करने का एक अभ्यास है।

दान कई रूपों में हो सकता है:

  • व्यक्तिगत दान: किसी जरूरतमंद व्यक्ति को सीधे मदद पहुँचाना, जैसे भोजन, वस्त्र, धन या आश्रय देना।
  • सार्वजनिक दान: समाज के लिए लाभकारी परियोजनाओं में योगदान देना, जैसे स्कूल, अस्पताल, कुएं या पुस्तकालयों का निर्माण।

दान एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो वैदिक काल से चली आ रही है। वेदों में दान को एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्म माना गया है।

दान के पीछे कई भावनाएँ काम करती हैं:

  • कर्तव्य: यह मान्यता कि साधन संपन्न लोगों का कर्तव्य है कि वे जरूरतमंदों की मदद करें।
  • पुण्य: दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है जो अगले जन्म में सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
  • करुणा: दूसरों के दुखों को देखकर दया और सहानुभूति का भाव।
  • अनासक्ति: भौतिक वस्तुओं के प्रति मोह को त्यागना और दूसरों के साथ साझा करने की भावना।

दान केवल धन या वस्तुओं तक सीमित नहीं है। ज्ञान, समय और सेवा का दान भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

संक्षेप में, दान भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है जो उदारता, करुणा और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देता है।


Dāna is a Sanskrit and Pali word that connotes the virtue of generosity, charity or giving of alms, in Indian religions and philosophies.



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