Vīrya

वीर्या

Vīrya

(Buddhist term)

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वीर्य: बौद्ध धर्म में उत्साह और पुरुषार्थ

वीर्य एक संस्कृत और पालि शब्द है जिसका प्रयोग बौद्ध धर्म में "ऊर्जा," "लगन," "उत्साह," या "प्रयास" के लिए किया जाता है।

वीर्य का अर्थ:

  • वीर्य का अर्थ है अच्छे और सदाचारी कार्यों को करने के लिए उत्साह और लगन के साथ जुट जाना।
  • यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो व्यक्ति को सकारात्मक और पुण्य कार्यों को करने के लिए प्रेरित करती है।

वीर्य का महत्व:

  • वीर्य बौद्ध धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें अज्ञान और दुखों से मुक्ति पाने में मदद करता है।
  • यह हमें आलस्य, प्रमाद और नकारात्मक विचारों से दूर रहने में मदद करता है।
  • वीर्य हमें ध्यान, समाधि और ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होता है।

वीर्य के प्रकार:

  • श्रद्धा वीर्य: यह विश्वास और श्रद्धा से प्रेरित ऊर्जा है जो हमें धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ाती है।
  • प्रज्ञा वीर्य: यह समझदारी और ज्ञान से प्रेरित ऊर्जा है जो हमें सही और गलत का चुनाव करने में मदद करती है।
  • संकल्प वीर्य: यह दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति से प्रेरित ऊर्जा है जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।

वीर्य का विकास कैसे करें:

  • ध्यान और योग के माध्यम से मन को शांत और एकाग्र करके
  • सकारात्मक विचारों और भावनाओं का अभ्यास करके
  • सदाचारी और नेक लोगों के साथ संगति करके
  • अपने जीवन में धर्म के सिद्धांतों को लागू करके

वीर्य का विकास करके हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और दुखों से मुक्ति पा सकते हैं।


Vīrya is a Buddhist term commonly translated as "energy", "diligence", "enthusiasm", or "effort". It can be defined as an attitude of gladly engaging in wholesome activities, and it functions to cause one to accomplish wholesome or virtuous actions.



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