
निरंकारी
Nirankari
(Sikh sect)
Summary
निरंकारी पंथ: एक सरल व्याख्या
निरंकारी पंथ सिख धर्म का एक संप्रदाय है, जिसकी स्थापना 1851 में पंजाब के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में बाबा दयाल दास ने की थी। बाबा दयाल दास ने सिखों की प्रथाओं और विश्वासों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया, जो उनके विचार में गुरु नानक के समय प्रचलित थे। यह आंदोलन सिख साम्राज्य के पतन और महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद सिख इतिहास में उभरा।
निरंकारी, "निरंकार" (रूपरहित) ईश्वर को किसी भी छवि के साथ दर्शाने का विरोध करते हैं। उनका मानना है कि सच्चा सिख धर्म "नाम सिमरन" (ईश्वर के नाम का स्मरण और पुनरावृत्ति) पर आधारित है। वे बाबा दयाल दास वंश से आने वाले जीवित गुरुओं में विश्वास रखते हैं और मानते हैं कि सिख ग्रंथ एक खुला ग्रंथ है जिसमें गुरु गोबिंद सिंह के बाद उनके जीवित गुरुओं के ज्ञान को जोड़ा जा सकता है। निरंकारी मानते हैं कि शास्त्रों की व्याख्या करने और सिखों का मार्गदर्शन करने के लिए मानव गुरु की आवश्यकता है।
निरंकारी खुद को सिख और सिख इतिहास का हिस्सा मानते हैं। मूल रूप से रावलपिंडी में अपने दरबार के पास के क्षेत्रों में स्थित निरंकारी, 1947 में भारत के विभाजन के समय, नए बनाए गए मुस्लिम-प्रधान पाकिस्तान को छोड़कर भारत में बड़े पैमाने पर प्रवास कर गए। 1958 में, उन्होंने चंडीगढ़ में एक नया दरबार स्थापित किया। निरंकारी सिख, समकालीन भारत में श्रीनगर से कोलकाता तक बसे हुए हैं।
विशिष्ट बिंदुओं पर विस्तार:
- निरंकारी का मतलब: "निरंकारी" शब्द "निरंकार" से बना है, जिसका अर्थ है "रूपरहित"। निरंकारी मानते हैं कि ईश्वर रूपरहित है और उसे किसी भी छवि में नहीं दर्शाया जा सकता।
- गुरुओं की भूमिका: निरंकारी बाबा दयाल दास को अपना पहला गुरु मानते हैं और मानते हैं कि उनके वंश में जीवित गुरु हैं। वे मानते हैं कि गुरु का शास्त्रों की व्याख्या करना और सिखों का मार्गदर्शन करना आवश्यक है।
- सिख ग्रंथ: निरंकारी सिख ग्रंथों में विश्वास रखते हैं, लेकिन वे मानते हैं कि यह एक खुला ग्रंथ है, जिसमें उनके जीवित गुरुओं के ज्ञान को जोड़ा जा सकता है।
- निरंकारी और सिख धर्म: निरंकारी खुद को सिख मानते हैं और सिख इतिहास का हिस्सा मानते हैं। हालांकि, उनके कुछ विचार और प्रथाएं सिख धर्म के मुख्य धारा के विचारों से भिन्न हैं।
- निरंकारी का प्रसार: निरंकारी समुदाय भारत में विभिन्न स्थानों पर फैला हुआ है और इसका विश्व के कुछ अन्य देशों में भी प्रभाव है।
संक्षेप में: निरंकारी पंथ सिख धर्म का एक सुधारवादी आंदोलन है जो "निरंकार" ईश्वर में विश्वास रखता है और जीवित गुरुओं में विश्वास रखता है। निरंकारी सिख धर्म के मुख्य धारा से कुछ मतभेदों के साथ, खुद को सिखों का एक हिस्सा मानते हैं।