
निम्बार्क सम्प्रदाय
Nimbarka Sampradaya
(One of the four Vaiṣṇava Sampradāyas)
Summary
निम्बार्क सम्प्रदाय
निम्बार्क सम्प्रदाय, जिसे कुमार सम्प्रदाय, हंस सम्प्रदाय और सनकादि सम्प्रदाय के नाम से भी जाना जाता है, चार प्रमुख वैष्णव सम्प्रदायों में से एक है। इसकी स्थापना एक तेलुगु ब्राह्मण योगी और दार्शनिक, निम्बार्क ने की थी। यह द्वैताद्वैत (dvaita-advaita) या द्वैतवादी अद्वैतवाद के वैष्णव भेदभेद दर्शन का प्रचार करता है।
द्वैताद्वैत का कहना है कि मनुष्य ईश्वर या परम तत्व से अलग और अभिन्न दोनों हैं। दूसरे शब्दों में, यह सम्प्रदाय मानता है कि ईश्वर और जीव दोनों एक ही सत्य के दो पहलू हैं, जैसे कि सूर्य की किरणें और सूर्य।
यह सम्प्रदाय विशेष रूप से कृष्ण-केंद्रित परंपराओं, यानि कृष्णवाद का एक भाग है। इसमें भगवान कृष्ण को सर्वोच्च ईश्वर माना जाता है और उनकी पूजा राधा-कृष्ण के रूप में की जाती है।
प्रमुख बिंदु:
- संस्थापक: निम्बार्क
- दर्शन: द्वैताद्वैत (द्वैतवादी अद्वैतवाद)
- मुख्य देवता: राधा-कृष्ण
- अन्य नाम: कुमार सम्प्रदाय, हंस सम्प्रदाय, सनकादि सम्प्रदाय
विस्तार:
निम्बार्क सम्प्रदाय वैष्णव धर्म की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो भक्ति और ज्ञान दोनों पर जोर देती है। इसमें भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण को मोक्ष का मार्ग माना जाता है। यह सम्प्रदाय भारत के कई हिस्सों में प्रचलित है और इसके कई मंदिर और आश्रम हैं।