
बोधिपक्खियाधम्म
Bodhipakkhiyādhammā
(Spiritual qualities conducive to Buddhist cultivation)
Summary
बौद्ध धर्म में बोधिपक्खिया धम्मा
बौद्ध धर्म में, बोधिपक्खिया धम्मा (Pali: bodhipakkhiyā dhammā) उन गुणों (dhammā) को संदर्भित करता है जो जागृति या समझ (bodhi) के लिए अनुकूल या उससे संबंधित (pakkhiya) होते हैं। सरल शब्दों में, ये वे सकारात्मक गुण और कारक हैं जो मन को प्रशिक्षित (bhavana) करने पर विकसित होते हैं और बुद्धत्व की प्राप्ति की ओर ले जाते हैं।
सात समूह और सैंतीस गुण
पाली टीकाओं में, बोधिपक्खिया धम्मा शब्द का उपयोग ऐसे सात समूहों के गुणों के लिए किया जाता है जो पूरे पाली कैनन में बुद्ध से नियमित रूप से जुड़े हुए हैं। इन सात समूहों में कुल सैंतीस (sattatiṃsa) गुण (bodhipakkhiyā dhammā) सूचीबद्ध हैं जो बार-बार आते हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
थेरवाद और महायान परंपराओं में महत्व
थेरवाद और महायान, दोनों ही बौद्ध परंपराएं, इन सात समूहों को बोधि के लिए बौद्ध मार्ग के पूरक पहलुओं के रूप में मान्यता देती हैं।
विस्तृत विवरण (हिंदी में)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि बोधिपक्खिया धम्मा केवल सैद्धांतिक अवधारणाएँ नहीं हैं बल्कि व्यावहारिक गुण हैं जिन्हें ध्यान और सचेतन जीवन जीने के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। ये गुण हमें दुख के कारणों को समझने और उनसे मुक्ति पाने में मदद करते हैं।
यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कैसे बोधिपक्खिया धम्मा हमारे जीवन में प्रकट हो सकते हैं:
- सति (ध्यान): वर्तमान क्षण में पूरी जागरूकता के साथ रहना, बिना निर्णय के अपने विचारों, भावनाओं और शारीरिक संवेदनाओं को देखना।
- समथ (शांति): मन को शांत और एकाग्र करना, मानसिक अशांति और व्याकुलता को दूर करना।
- विरिया (प्रयास): अच्छे और कुशल कार्यों को करने के लिए निरंतर प्रयास करना, आलस्य और प्रमाद को त्यागना।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बोधिपक्खिया धम्मा को विकसित करना एक सतत प्रक्रिया है। हमें धैर्य और दृढ़ता के साथ अभ्यास करते रहना चाहिए, और धीरे-धीरे ये गुण हमारे जीवन में अधिक से अधिक प्रकट होंगे, जिससे हमें शांति, प्रज्ञा और अंततः बोधि की प्राप्ति होगी।