
चार दाएँ प्रयास
Four Right Exertions
(Buddhist philosophical concept)
Summary
चार सम्यक प्रहाण (Four Right Exertions) - विस्तृत विवरण हिंदी में
चार सम्यक प्रहाण, जिन्हें चार सम्यक प्रयास, चार महाप्रहाण, चार सम्यक उद्योग, या चार सम्यक प्रयत्न भी कहा जाता है (पाली: सम्मप्पधान; संस्कृत: सम्यक्-प्रधान या सम्यक्प्रहाण), बौद्ध धर्म में ज्ञान प्राप्ति (बोध) के मार्ग का एक अभिन्न अंग हैं।
यह सिद्धांत समय के साथ विभिन्न मानसिक गुणों के उद्भव और अनुपस्थिति और इन क्षणभंगुर गुणों में सचेतन रूप से हस्तक्षेप करने की हमारी क्षमता की अंतर्दृष्टिपूर्ण पहचान पर आधारित है। चार सम्यक प्रहाण हानिकारक मानसिक गुणों का त्याग करने और लाभकारी मानसिक गुणों का पोषण करने को प्रोत्साहित करते हैं।
चार सम्यक प्रहाण इस प्रकार हैं:
- अकुशल धर्मों के उद्भव को रोकना (सम्वर पधान): यह पहला प्रयास हमें उन हानिकारक मानसिक अवस्थाओं और विचारों, जैसे लोभ, द्वेष, मोह, ईर्ष्या, क्रोध, आदि के उद्भव को रोकने के लिए प्रेरित करता है। हमें इन नकारात्मक भावनाओं को अपने मन में जड़ जमाने से रोकना होगा।
- पहले से उठे हुए अकुशल धर्मों को दूर करना (पहाना पधान): यदि हमारे मन में हानिकारक भावनाएँ पहले से ही उत्पन्न हो चुकी हैं, तो हमें उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें ध्यान, सचेतनता, और विवेक का सहारा लेना चाहिए।
- कुशल धर्मों का उद्भव करना (भावना पधान): हमें अपने मन में प्रेम, करुणा, मुदिता (दूसरों के सुख में आनंद), उपेक्षा (तटस्थता), क्षमा, दानशीलता, सत्यवादिता जैसे सकारात्मक गुणों को उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए।
- पहले से उठे हुए कुशल धर्मों को स्थिर व प्रबल बनाना (अनुराक्खण पधान): एक बार सकारात्मक गुण हमारे मन में स्थापित हो जाएं, तो हमें उन्हें निरंतर पोषित करना चाहिए। इसके लिए हमें ध्यान, सदाचार, और सम्यक जीवन शैली का पालन करना होगा।
चार सम्यक प्रहाण और अष्टांगिक मार्ग:
चार सम्यक प्रहाण, अष्टांगिक मार्ग के "सम्यक व्यायाम" के सिद्धांत से जुड़े हैं। "सम्यक व्यायाम" का अर्थ है, सकारात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सही प्रकार से प्रयास करना।
चार सम्यक प्रहाण और पाँच आध्यात्मिक शक्तियाँ:
ये चारों प्रहाण, पाँच आध्यात्मिक शक्तियों (पंचेंद्रिय) में से "वीर्य" (शक्ति, ऊर्जा, उत्साह) से भी जुड़े हैं। हमें हानिकारक भावनाओं को दूर करने और लाभकारी भावनाओं को विकसित करने के लिए वीर्य की आवश्यकता होती है।
बोधि पक्षीय धर्म:
चार सम्यक प्रहाण, बोधि पक्षीय धर्म के सात समूहों में से एक हैं। बोधि पक्षीय धर्म वे मानसिक गुण हैं जो बोध (ज्ञान) की प्राप्ति में सहायक होते हैं।
चार सम्यक प्रहाण, बौद्ध धर्म के अभ्यास का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। इन का नियमित अभ्यास करके हम अपने मन को पवित्र बना सकते हैं और दुखों से मुक्ति पा सकते हैं।