
श्रीलंका में बौद्ध धर्म
Buddhism in Sri Lanka
(History and demographics of Buddhism in Sri Lanka, formerly Ceylon)
Summary
श्रीलंका में बौद्ध धर्म: एक विस्तृत विवरण (Sri Lankan Buddhism in Detail)
भूमिका (Introduction):
श्रीलंका में थेरवाद बौद्ध धर्म सबसे बड़ा और आधिकारिक धर्म है। 2012 के आंकड़ों के अनुसार, यहाँ की 70.2% आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है। श्रीलंकाई बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुसंख्यक सिंहली आबादी के साथ-साथ अल्पसंख्यक जातीय समूहों में भी पाए जाते हैं। पारंपरिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण, श्रीलंकाई बौद्ध धर्म दक्षिण पूर्व एशियाई बौद्धों, विशेष रूप से म्यांमार और थाई बौद्धों के साथ कई समानताएं साझा करता है।
इतिहास (History):
श्रीलंका उन पाँच देशों में से एक है जहाँ थेरवाद बौद्ध धर्म बहुसंख्यक है। श्रीलंकाई संविधान के अनुच्छेद 9 के तहत बौद्ध धर्म को राजकीय धर्म घोषित किया गया है। यह औपनिवेशिक काल से पहले बौद्ध धर्म को प्राप्त सम्मान को पुनः स्थापित करने के प्रयास का प्रतीक है। श्रीलंका दुनिया के सबसे पुराने पारंपरिक रूप से बौद्ध देशों में से एक है।
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म की शुरुआत के बाद से यह द्वीप बौद्ध विद्वता और प्रथाओं का केंद्र रहा है। यहाँ से बुद्धघोष जैसे प्रख्यात विद्वान पैदा हुए और विशाल पाली कैनन का संरक्षण किया गया। अपने अधिकांश इतिहास में, श्रीलंकाई राजाओं ने द्वीप के बौद्ध संस्थानों के रखरखाव और पुनरुद्धार में प्रमुख भूमिका निभाई है। 19वीं शताब्दी के दौरान, द्वीप पर एक आधुनिक बौद्ध पुनरुत्थान हुआ जिसने बौद्ध शिक्षा को बढ़ावा दिया।
भारतीय प्रभाव (Indian Influence):
भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण, सिंहली बौद्ध धर्म आंशिक रूप से हिंदू धर्म और स्वदेशी मान्यताओं से प्रभावित रहा है। कुछ बौद्ध हिंदुओं के समान मान्यताओं को साझा करते हैं, जैसे कि हिंदू देवताओं की पूजा, जाति व्यवस्था और आत्मावाद। श्रीलंका के पूर्व-बौद्ध ऐतिहासिक वृत्तांतों से लंका के समाज पर भारतीय धार्मिक प्रवृत्तियों के महत्वपूर्ण प्रभाव का पता चलता है।
कुछ पारंपरिक सिंहली मंदिर लेआउट में हिंदू देवताओं को समर्पित व्यक्तिगत मंदिर भी शामिल हैं। विष्णु, मुरुगन, पथिनी, नट, गंबारा, देदीमुंडा, सरस्वती, गणेश, लक्ष्मी, शिव, काली आदि कुछ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू देवता हैं जिनकी पूजा कुछ सिंहली बौद्ध करते हैं। भूत भगाने और अनुष्ठानों के दौरान राक्षसों और आत्माओं को भी आमंत्रित किया जाता है, जो पूर्व-बौद्ध देशी काल से चली आ रही प्रथाएं प्रतीत होती हैं।
आंकड़े (Statistics):
2007 में, श्रीलंका में लगभग 60,000 बौद्ध मठ थे जिनमें लगभग 500,000 भिक्षु थे।
निष्कर्ष (Conclusion):
श्रीलंकाई बौद्ध धर्म, थेरवाद परंपरा का पालन करते हुए, अपनी विशिष्ट विशेषताओं और भारतीय प्रभावों के साथ एक समृद्ध और जीवंत धार्मिक परिदृश्य प्रस्तुत करता है।