
व्रज परिक्रमा
Vraja Parikrama
(Pilgrimage trip)
Summary
ब्रज मंडल परिक्रमा: कृष्ण भक्ति का अनुपम संगम
ब्रज मंडल परिक्रमा, जिसे ब्रज यात्रा भी कहा जाता है, निंबार्क सम्प्रदाय के हिंदुओं की एक महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह परिक्रमा 84 कोस के ब्रज क्षेत्र में होती है, जिसमें 1 से 2 महीने का समय लगता है जो यात्रा के मार्ग और गति पर निर्भर करता है। यह यात्रा पैदल ही की जाती है।
क्या है ब्रज मंडल परिक्रमा?
यह परिक्रमा भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े पवित्र स्थानों की यात्रा है जो मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव और गोवर्धन जैसे तीर्थ स्थलों से होकर गुजरती है। इस यात्रा का उद्देश्य कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हुए, उनके प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करना है।
निंबार्क सम्प्रदाय और ब्रज परिक्रमा:
निंबार्क सम्प्रदाय में ब्रज परिक्रमा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस सम्प्रदाय के संत, स्वामी श्री श्री 108 रसबिहारीदास कथावाचकजी महाराज, वर्तमान में ब्रज परिक्रमा के प्रधान महंत हैं। इसी परंपरा के एक अन्य महान संत, वैष्णव नागाजी महाराज, ने लगभग 530 वर्ष पूर्व 84 करोड़ बार ब्रज परिक्रमा की थी!
कृष्ण लीलाओं का केंद्र:
चूँकि यह क्षेत्र वैदिक काल से ही भगवान कृष्ण और महाभारत से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह "कृष्ण सर्किट" से जुड़े तीन प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है:
- 48 कोस कुरुक्षेत्र परिक्रमा: हरियाणा राज्य में
- ब्रज परिक्रमा: उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा में
- द्वारका परिक्रमा (द्वारकाधीश यात्रा): गुजरात राज्य में द्वारकाधीश मंदिर में
ब्रज परिक्रमा का महत्व:
यह यात्रा केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। इस यात्रा के दौरान भक्त भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को गहरा करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं। यह यात्रा मन को शांति और आत्मा को मुक्ति प्रदान करती है।