Tara_(Buddhism)

तारा (बौद्ध धर्म)

Tara (Buddhism)

(Female Bodhisattva)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

तारा: बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण देवी

तारा, बौद्ध धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण देवी हैं, खासकर वज्रयान और महायान परंपराओं में।

महायान बौद्ध धर्म में:

  • तारा को एक महिला बोधिसत्व के रूप में पूजा जाता है, जो सभी प्राणियों के प्रति करुणा और प्रेम का प्रतीक हैं।
  • तारा को "आर्य तारा" यानि "उत्कृष्ट तारा" भी कहा जाता है।
  • वे संसार के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली मां मानी जाती हैं।

वज्रयान बौद्ध धर्म में:

  • तारा को एक पूर्ण बुद्ध माना जाता है।
  • "तारा तंत्र" में उन्हें "तीनों कालों के बुद्धों को जन्म देने वाली माँ" बताया गया है जो "संसार और निर्वाण से परे" हैं।
  • वज्रयान में तारा सबसे महत्वपूर्ण महिला देवताओं में से एक हैं और उनका उल्लेख "मंजुश्रीमूलकल्प" और "गुह्यसमाज तंत्र" जैसे ग्रंथों में मिलता है।
  • "सर्वतथागतमातृताराविश्वकर्माभवनामंत्र" और "तारामूलकल्प" जैसे ग्रंथ तारा की साधना पर केंद्रित हैं।

तिब्बती बौद्ध धर्म में:

  • तारा तिब्बती बौद्ध धर्म में एक लोकप्रिय ध्यान देवता (यिदम) हैं।
  • तारा के कई रूप या अभिव्यक्तियाँ मानी जाती हैं।
  • तिब्बती परंपरा में हरे रंग की तारा ("श्यामतारा") सबसे महत्वपूर्ण हैं।
  • "एकावीस स्तुतियों में तारा की स्तुति" नामक साधना ग्रंथ तिब्बती बौद्ध धर्म में तारा पर सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है और यह तारा के विभिन्न रूपों का वर्णन करता है।

तारा मंत्र:

तारा मंत्र बौद्ध और हिंदू दोनों के लिए समान है:

  • ओम तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा

तिब्बती बौद्ध इसे इस प्रकार उच्चारण करते हैं:

  • ओम तारे तु तारे तुरे सोहा

इसका शाब्दिक अर्थ है: "हे तारा, मैं प्रार्थना करता हूँ हे तारा, हे तीव्र गति वाली, ऐसा ही हो!"

संक्षेप में, तारा एक करुणामयी देवी हैं जो सभी प्राणियों को दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए समर्पित हैं।


Tara, Ārya Tārā, also known as Jetsün Dölma, is an important figure in Buddhism, especially revered in Vajrayana Buddhism and Mahayana Buddhism. She appears as a female bodhisattva in Mahayana Buddhism.In the Tantric Buddhism, Tara is a female Buddha who is a consort of Amoghasidhi Buddha. Tārā is also known as a saviouress who hears the cries of beings in saṃsāra and saves them from worldly and spiritual danger.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙