Rishyasringa

ऋष्यशृंग

Rishyasringa

(Sage mentioned in ancient Indian scriptures)

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ऋष्यशृंग: एक महान ऋषि की कहानी

ऋष्यशृंग (IAST: Ṛṣyaśṛṅga) एक महान ऋषि थे, जिनका उल्लेख हिन्दू और बौद्ध ग्रंथों में प्रथम सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत से मिलता है। हिन्दू महाकाव्यों रामायण और महाभारत के अनुसार, ऋष्यशृंग एक ऐसे लड़के के रूप में पैदा हुए थे जिनके सिर पर हिरण के सींग थे। ऋष्यशृंग एक महान ऋषि बन गए और उनकी कहानी में राजा दशरथ के यज्ञ (अग्नि यज्ञ) के साथ उनका जुड़ाव है।

ऋष्यशृंग की कहानी बौद्ध जातकों में भी मिलती है, जहां वे बोधिसत्त्व के पुत्र के रूप में वर्णित हैं।

यहां ऋष्यशृंग की कहानी के कुछ प्रमुख बिंदु हैं:

  • ऋष्यशृंग का जन्म एक हिरण के सींगों के साथ हुआ था, जो उनके पिता ऋषि विश्वामित्र के लिए एक शकुन माना जाता था।
  • उनके पिता ने उन्हें जंगल में छिपा दिया, जहाँ उन्हें एक ऋषि ने पाला।
  • ऋष्यशृंग एक महान ऋषि और विद्वान बन गए, जिन्होंने तपस्या और ध्यान में अपना जीवन बिताया।
  • जब राजा दशरथ को उत्तराधिकारी की इच्छा हुई, तो उन्होंने एक यज्ञ करने का फैसला किया ताकि उन्हें संतान प्राप्त हो।
  • यज्ञ को सफल बनाने के लिए, ऋष्यशृंग की आवश्यकता थी, क्योंकि उन्हें माना जाता था कि उनके पास दिव्य शक्तियाँ हैं।
  • राजा दशरथ ने ऋष्यशृंग को अपने राज्य में लाने के लिए राज दरबार की सुंदर स्त्रियों को भेजा, जिन्होंने ऋष्यशृंग को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की।
  • अंततः ऋष्यशृंग राजा दशरथ के राज्य में आ गए और उन्होंने यज्ञ किया, जिससे राजा दशरथ को चार पुत्र (राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न) की प्राप्ति हुई।
  • ऋष्यशृंग की कहानी दिव्य शक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की महत्ता को प्रदर्शित करती है।

ऋष्यशृंग की कहानी हिन्दू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण है और यह एक प्रसिद्ध ऋषि के जीवन और ज्ञान की कहानी बताती है।


Rishyasringa is a rishi mentioned in Hindu and Buddhist scriptures from the late first millennium BCE. According to the Hindu epics Ramayana and Mahabharata, he was a boy born with the horns of a deer who became a seer and was lured by royal courtesans, which led to the yajna of King Dasharatha. His story also occurs in the Buddhist Jatakas, where he is mentioned as the son of Bodhisatta and was tried to be seduced by royal courtesans.



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