
त्रैलोक्य
Trailokya
(Three worlds of Hindu cosmology)
Summary
Trailokya: तीन लोक या तीन आयाम
Trailokya संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "तीन लोक" या "तीन दुनियाएँ"। इसे "तीन क्षेत्र", "अस्तित्व के तीन स्तर" और "तीन आयाम" के रूप में भी समझा जा सकता है।
यह अवधारणा हिंदू धर्म, जैन धर्म और प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथों में मिलती है।
विस्तार से:
Trailokya तीन अलग-अलग लोकों का एक समूह है जो अस्तित्व के विभिन्न स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिंदू धर्म में, त्रैलोक्य में शामिल हैं:
- स्वर्ग लोक (स्वर्ग): देवताओं और अन्य दिव्य प्राणियों का निवास स्थान, जहाँ सुख और आनंद की प्रधानता है।
- पृथ्वी लोक (पृथ्वी): मनुष्यों, जानवरों और अन्य प्राणियों का निवास स्थान, जहाँ दुःख और सुख दोनों का अनुभव होता है।
- पाताल लोक (नरक): असुरों और अन्य नकारात्मक प्राणियों का निवास स्थान, जहाँ दुःख और पीड़ा का अनुभव होता है।
जैन धर्म में भी त्रैलोक्य की अवधारणा है, लेकिन यह हिंदू धर्म से थोड़ी अलग है।
बौद्ध धर्म में, त्रैलोक्य को अक्सर "तीन धातु" (तिस्रो धातु) कहा जाता है, जो काम, रूप और अरूप धातु हैं, जो इच्छा, भौतिक अस्तित्व और निराकार अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि त्रैलोक्य की अवधारणा अलग-अलग धर्मों और सम्प्रदायों में भिन्न हो सकती है।