षष्ठी (दिन)
Shashthi (day)
(Sixth day of the lunar fortnight in the Hindu calendar)
Summary
शष्ठी: हिन्दू कैलेंडर का छठा दिन
शष्ठी (संस्कृत: षष्ठी, रोमन लिपि: Ṣaṣṭhī) जिसे छठ के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू कैलेंडर में चंद्रमा के पक्ष के छठे दिन को पड़ता है। पक्ष, चंद्रमा के दो हफ़्ते के चरण को कहा जाता है।
शष्ठी का महत्व:
हिन्दू धर्म में शष्ठी का विशेष महत्व है। यह दिन देवी शेष्ती, जो विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का रूप हैं, को समर्पित है। इस दिन लोग देवी शेष्ती की पूजा करते हैं, उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं, और अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं।
शष्ठी के प्रकार:
दो तरह के शष्ठी होती हैं:
- शुक्ल पक्ष शष्ठी: यह शष्ठी चंद्रमा के बढ़ने के समय आती है, जिसे "शुक्ल पक्ष" कहा जाता है। इसे "सुकर्मा शष्ठी" भी कहते हैं।
- कृष्ण पक्ष शष्ठी: यह शष्ठी चंद्रमा के घटने के समय आती है, जिसे "कृष्ण पक्ष" कहा जाता है।
छठ पूजा:
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल में छठ पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। इस पूजा में चार दिन शामिल हैं:
- नहाय-खाय: इस दिन लोग नहाते हैं और शुद्ध भोजन करते हैं।
- खरना: इस दिन लोग विशेष प्रकार का खाना बनाते हैं और शाम को देवी शेष्ती को अर्ध्य देते हैं।
- संध्या अर्घ: इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, लोग नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्ध्य देते हैं।
- उषा अर्घ: इस दिन सुबह सूर्योदय के समय, लोग एक बार फिर सूर्य को अर्ध्य देते हैं और व्रत तोड़ते हैं।
छठ पूजा में महिलाओं की अहम भूमिका होती है। वे पूरे चार दिन व्रत रखती हैं, और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं।
अन्य जानकारी:
- शष्ठी का दिन शुभ माना जाता है, और इस दिन पूजा करने से स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- शेष्ती के साथ "सुख" और "समृद्धि" के देवता "कुबेर" की भी पूजा की जाती है।
- शष्ठी का व्रत रखने से बच्चों की रक्षा होती है, और उन्हें लंबी उम्र और खुशहाली मिलती है।
निष्कर्ष:
शष्ठी एक महत्वपूर्ण तीथि है, जो हिन्दू धर्म में देवी शेष्ती, लक्ष्मी, और कुबेर की पूजा और व्रत रखने का दिन है। इस दिन लोग अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।