Khaṭvāṅga

खट्वांगा

Khaṭvāṅga

(Staff associated with Indian religions)

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खट्वाङ्ग: शिव का अस्त्र, तंत्र का प्रतीक

खट्वाङ्ग (संस्कृत: खट्वाङ्ग) एक लंबा, नुकीले आभूषणों से सजा हुआ डंडा या क्लब है, जिसे मूलतः भगवान शिव के अस्त्र के रूप में जाना जाता था। यह भारतीय धर्मों और तंत्र परंपराओं, जैसे शैव धर्म, तथा तिब्बती बौद्ध धर्म के वज्रयान में एक पारंपरिक अनुष्ठानिक प्रतीक के रूप में विकसित हुआ। खट्वाङ्ग का उपयोग आदिवासी जादूगरों द्वारा भी किया जाता था।

खट्वाङ्ग की संरचना और अर्थ:

  • डंडा: खट्वाङ्ग एक लकड़ी या धातु का डंडा होता है, जो लंबा और मोटा होता है।
  • नुकीले आभूषण: डंडे पर नुकीले आभूषण, जैसे कि कांटे, पत्तियाँ, या अन्य धातु के आकार, लगे होते हैं।
  • अर्थ: खट्वाङ्ग विभिन्न अर्थों को दर्शाता है:
    • शिव का अस्त्र: यह शिव का प्राथमिक अस्त्र है, जो उनके अदम्य शक्ति और अजेयता का प्रतीक है।
    • तंत्र का प्रतीक: यह तंत्र में ऊर्जा के प्रवाह और ब्रह्मांडीय शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण का प्रतीक है।
    • जीवन का चक्र: खट्वाङ्ग के आकार और नुकीले आभूषणों को जीवन के चक्र, जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है।
    • शक्ति और शक्ति: खट्वाङ्ग शक्ति, शक्ति और नियंत्रण का प्रतिनिधित्व करता है।
    • आध्यात्मिक ज्ञान: यह ज्ञान और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक भी है।

विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में खट्वाङ्ग:

  • शैव धर्म: शैव धर्म में, खट्वाङ्ग भगवान शिव की शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
  • वज्रयान: तिब्बती बौद्ध धर्म के वज्रयान में, खट्वाङ्ग वज्र का रूप लेता है, जो बुद्ध की बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
  • आदिवासी संस्कृतियां: कुछ आदिवासी संस्कृतियों में, खट्वाङ्ग का उपयोग जादूगरों द्वारा आध्यात्मिक शक्तियों को नियंत्रित करने और बुरी शक्तियों को दूर करने के लिए किया जाता था।

आज के समय में खट्वाङ्ग:

आज के समय में, खट्वाङ्ग एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक बना हुआ है। यह मंदिरों, मठों और कलाकृतियों में पाया जाता है। यह शिव की शक्ति, तंत्र की ऊर्जा और आध्यात्मिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है।


A khaṭvāṅga is a long, studded staff or club originally understood as Shiva's weapon. It evolved as a traditional ritualistic symbol in Indian religions and Tantric traditions like Shaivism, and in the Vajrayana of Tibetan Buddhism. The khatvānga was also used as tribal shaman shafts.



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