
जैन धर्म की समयरेखा
Timeline of Jainism
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जैन धर्म: अहिंसा और आत्म अनुशासन का मार्ग
जैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है जो श्रमण परंपरा से संबंधित है। इसका मुख्य सिद्धांत सभी जीवों के प्रति अहिंसा (हिंसा न करना) का पालन करना है।
जैन धर्म के तीन मुख्य सिद्धांत हैं:
- अहिंसा: सभी जीवों के प्रति पूर्ण अहिंसा का पालन।
- अनेकांतवाद: किसी भी बात को एक ही दृष्टिकोण से न देखना, सभी पक्षों को समझना।
- अपरिग्रह: सांसारिक वस्तुओं और मोह-माया से दूर रहना।
जैन धर्म के पाँच मुख्य व्रत हैं:
- अहिंसा: हिंसा न करना
- सत्य: सदा सच बोलना
- अस्तेय: चोरी न करना
- ब्रह्मचर्य: इंद्रिय निग्रह
- अपरिग्रह: संचय न करना, आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का त्याग
जैन धर्म के अनुयायी दो भागों में बंटे हैं:
- मुनी: ये सभी पाँच व्रतों का पूर्ण रूप से पालन करते हैं।
- श्रावक: ये गृहस्थ जीवन जीते हुए इन व्रतों का यथासंभव पालन करते हैं।
जैन धर्म में आत्म अनुशासन और सादगी पर बहुत ज़ोर दिया जाता है।
विस्तार से:
- अहिंसा: जैन धर्म में अहिंसा सिर्फ़ शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विचारों, वाणी और भावों से किसी को भी दुखी करना भी शामिल है।
- अनेकांतवाद: यह सिद्धांत कहता है कि सत्य के अनेक पहलू हो सकते हैं और हमें सभी दृष्टिकोणों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
- अपरिग्रह: यह सिद्धांत हमें सांसारिक मोह-माया से दूर रहने और केवल अपनी ज़रूरत की चीज़ों को ही महत्व देने की सीख देता है।
- मुनी और श्रावक: मुनी जैन धर्म के साधु होते हैं जो संसार का त्याग कर के कठोर तपस्या करते हैं। श्रावक गृहस्थ होते हैं जो जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं।
निष्कर्ष: जैन धर्म एक शांतिप्रिय धर्म है जो अहिंसा, सत्य, और सादगी का संदेश देता है।
Jainism is an ancient Indian religion belonging to the śramaṇa tradition. It prescribes ahimsa (non-violence) towards all living beings to the greatest possible extent. The three main teachings of Jainism are ahimsa, anekantavada (non-absolutism), aparigraha (non-possessiveness). Followers of Jainism take five main vows: ahimsa, satya, asteya, brahmacharya (chastity), and aparigraha. Monks follow them completely whereas śrāvakas (householders) observe them partially. Self-discipline and asceticism are thus major focuses of Jainism.