Pattavali

पट्टावलि

Pattavali

(Record of a spiritual lineage of heads of monastic orders)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

पट्टावली: जैन धर्म में गुरु-शिष्य परंपरा का दस्तावेज़

"पट्टावली" शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है: "पट्ट" जिसका अर्थ है "आसन" और "अवली" जिसका अर्थ है "श्रृंखला"। यह मूल रूप से किसी भी धार्मिक परंपरा में गुरुओं की पीढ़ी-दर-पीढ़ी क्रम का दस्तावेज़ होता है, जहाँ एक गुरु अपने शिष्य को ज्ञान और परंपरा सौंपता है। इसे "स्थाविरवली" या "थेरवली" भी कहा जाता है। यह शब्द सभी भारतीय धर्मों पर लागू होता है, लेकिन इसका प्रयोग आमतौर पर जैन धर्म में किया जाता है।

जैन धर्म में, पट्टावली, मठों और संप्रदायों के प्रमुख आचार्यों की गुरु-शिष्य परंपरा को दर्शाती है। यह मान्यता है कि सूची में लिखे गए दो क्रमिक नाम गुरु और शिष्य के होते हैं।

प्रमुख पट्टावली:

  • सरस्वतीगच्छ पट्टावली: यह मूल संघ के बालात्कार गण की परंपरा दर्शाती है।
  • तपागच्छ पट्टावली: यह तपागच्छ की परंपरा दर्शाती है।
  • उपकेश गच्छ पट्टावली: यह विलुप्त हो चुके उपकेश गच्छ की परंपरा दर्शाती है।
  • खरतरगच्छ पट्टावली: यह खरतर गच्छ की परंपरा दर्शाती है।

इन पट्टावलियों का उपयोग जैन इतिहास के कालक्रम को स्थापित करने के लिए किया जाता है, क्योंकि ये प्राचीन काल से चली आ रही परंपराओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती हैं।

हालांकि, जर्मन विद्वान हेल्मुथ वॉन ग्लासेनप के अनुसार, पट्टावली में उल्लिखित कालानुक्रमिक सूची मूल्यवान तो है, लेकिन पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। यह संभव है कि कुछ नाम छूट गए हों या कुछ तिथियां सही न हों। इसलिए, इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए पट्टावली के साथ-साथ अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों का भी अध्ययन करना आवश्यक है।


A Pattavali, Sthaviravali or Theravali, is a record of a spiritual lineage of heads of monastic orders. They are thus spiritual genealogies. It is generally presumed that two successive names are teacher and pupil. The term is applicable for all Indian religions, but is generally used for Jain monastic orders.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙