
दस क्षेत्र
Ten realms
(Buddhist cosmology)
Summary
दस लोक: एक विस्तृत व्याख्या
बौद्ध धर्म के कुछ सम्प्रदायों में, दस लोक (जिन्हें कभी-कभी दस दुनिया भी कहा जाता है) यह दर्शाते हैं कि सचेतन प्राणी जीवन की 240 अवस्थाओं का अनुभव करते हैं, जो पल-पल बदलती रहती हैं। चीनी विद्वान चिह-इ को इस शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने "दस लोकों के आपसी अंतःप्रवेश" के बारे में बताया था।
दस लोक निम्नलिखित हैं:
१. नरक लोक (नर्क): यह दुख और पीड़ा का लोक है, जहाँ क्रोध, घृणा और अज्ञानता का बोलबाला होता है।
- विस्तार: नरक लोक में, प्राणी अत्यधिक पीड़ा और यातना का अनुभव करते हैं। यह एक अस्थायी अवस्था मानी जाती है, जहाँ प्राणी अपने बुरे कर्मों के फल भोगते हैं।
२. प्रेत लोक (भूखे प्रेत): इस लोक में, प्राणी तीव्र भूख और प्यास से ग्रस्त रहते हैं, परन्तु उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती।
- विस्तार: प्रेत लोक लालच और आसक्ति का परिणाम माना जाता है।
३. तिर्यंच लोक (पशु): यह लोक उन प्राणियों का है जो मूल प्रवृत्ति और अज्ञानता से प्रेरित होते हैं।
- विस्तार: पशु लोक में, प्राणी स्वतंत्रता और समझ की कमी का अनुभव करते हैं।
४. असुर लोक (असुर): इस लोक के निवासी ईर्ष्या, द्वेष और प्रतिस्पर्धा से ग्रस्त रहते हैं।
- विस्तार: असुर लोक में, प्राणी शक्ति और श्रेष्ठता की इच्छा रखते हैं, लेकिन हमेशा असंतुष्ट रहते हैं।
५. मनुष्य लोक (मानव): यह जन्म, मृत्यु, सुख और दुःख का लोक है, जहाँ मनुष्य अच्छे और बुरे कर्म करते हैं।
- विस्तार: मनुष्य लोक को आध्यात्मिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।
६. देव लोक (देवता): इस लोक के देवता सुख और आनंद का अनुभव करते हैं, लेकिन अहंकार और आसक्ति से ग्रस्त हो सकते हैं।
- विस्तार: देवलोक में, प्राणी अपने अच्छे कर्मों के फल भोगते हैं, लेकिन यह अवस्था भी अस्थायी होती है।
७. श्रावक लोक (श्रावक): इस लोक के निवासी बुद्ध की शिक्षाओं को सुनकर दुखों से मुक्ति का मार्ग खोजते हैं।
- विस्तार: श्रावक लोक में, प्राणी आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए बुद्ध की शिक्षाओं पर निर्भर होते हैं।
८. प्रत्याेकबुद्ध लोक (प्रत्येकबुद्ध): इस लोक के निवासी स्वयं के प्रयासों से आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं।
- विस्तार: प्रत्येकबुद्ध लोक में, प्राणी अपनी बुद्धि और प्रयासों से सत्य को समझते हैं।
९. बोधिसत्व लोक (बोधिसत्व): इस लोक के निवासी दूसरों की मुक्ति के लिए समर्पित होते हैं।
- विस्तार: बोधिसत्व लोक में, प्राणी करुणा और प्रेम से प्रेरित होकर सभी प्राणियों के कल्याण के लिए कार्य करते हैं।
१०. बुद्ध लोक (बुद्ध): यह पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति का लोक है।
- विस्तार: बुद्ध लोक में, प्राणी दुखों के चक्र से मुक्त हो जाते हैं और पूर्ण ज्ञान प्राप्त करते हैं।
महत्वपूर्ण: दस लोक स्थिर नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक पल में हम एक लोक में हो सकते हैं और अगले ही पल दूसरे लोक में। हमारा कर्म ही तय करता है कि हम किस लोक में जन्म लेंगे।