Battle_of_Nadaun

नादौन की लड़ाई

Battle of Nadaun

(1691 battle of the Mughal–Sikh Wars)

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नाडौन का युद्ध: एक विस्तृत विवरण

नाडौन का युद्ध, जिसे हुसैनी युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, बिलासपुर (कहलूर) के राजा भीम चंद और अलीफ खान के नेतृत्व में मुगलों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में, भीम चंद को दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का समर्थन प्राप्त था, जबकि मुगलों का समर्थन अन्य पहाड़ी सरदारों ने किया, जिनमें कांगड़ा के किरपाल चंद और बिझारवाल के दयाल चंद प्रमुख थे।

युद्ध का कारण:

भीम चंद और कुछ अन्य पहाड़ी सरदारों ने भंगानी के युद्ध के बाद, मुगल सम्राट को श्रद्धांजलि देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण नाडौन में युद्ध हुआ।

युद्ध का परिणाम:

नाडौन का युद्ध बिलासपुर राज्य और सिख गुरु के सहयोगियों की जीत के साथ समाप्त हुआ।

युद्ध की तिथि:

विभिन्न इतिहासकारों ने युद्ध की तिथि अलग-अलग बताई है। कुछ ने इसे 1687, 1689, 1690, 20 मार्च 1691, और 4 अप्रैल 1691 में रखा है।

युद्ध का विवरण:

गुरु गोबिंद सिंह की आत्मकथा मानी जाने वाली "बिचित्र नाटक" इस युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। हालांकि, कुछ विद्वानों ने इसकी लेखकता पर संदेह व्यक्त किया है।

विशिष्ट विवरण:

  • भंगानी का युद्ध: यह युद्ध नाडौन के युद्ध से पहले हुआ था, और इसने मुगल सम्राट के खिलाफ पहाड़ी सरदारों के विरोध को जन्म दिया था।
  • श्रद्धांजलि: मुगल सम्राट को श्रद्धांजलि देना, उस समय की शासन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। पहाड़ी सरदारों के इनकार ने मुगलों को युद्ध के लिए प्रेरित किया।
  • सिख गुरु का समर्थन: गुरु गोबिंद सिंह का भीम चंद को समर्थन, उनके साम्राज्य की सीमाओं को सुरक्षित करने और मुगल अत्याचार से लड़ने के प्रयासों का प्रतीक था।
  • पहाड़ी सरदारों की भूमिका: कांगड़ा और बिझारवाल के सरदारों का मुगलों का समर्थन करने का कारण, अपने स्वयं के स्वार्थ या क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता हो सकती है।

निष्कर्ष:

नाडौन का युद्ध, पहाड़ी सरदारों और मुगलों के बीच संघर्ष का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह युद्ध सिख गुरु के साहस और मुगल साम्राज्य के खिलाफ पहाड़ी सरदारों के विरोध की कहानी बताता है।


The Battle of Nadaun, alternatively known as the Hussaini Yudh, was fought at Nadaun, between Raja Bhim Chand of Bilaspur (Kahlur) and the Mughals under Alif Khan. Bhim Chand was supported by Guru Gobind Singh and the Mughals were supported by other hill chieftains, notably Kirpal Chand from Kangra and Dayal Chand from Bijharwal. Bhim Chand and some hill chieftains, after conclusion of Battle of Bhangani had refused to pay tribute to the Mughal emperor which led to the battle at Nadaun. The battle resulted in the victory of Bilaspur State and Sikh alliance.



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