Second_siege_of_Anandpur

आनंदपुर की दूसरी घेराबंदी

Second siege of Anandpur

(Battle in north-east India)

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आनंदपुर का दूसरा घेरा: एक विस्तृत विवरण

आनंदपुर का दूसरा घेरा, जिसे आनंदपुर की दूसरी लड़ाई (१७०४) भी कहा जाता है, सिखों और मुगल शासकों के बीच एक लंबा संघर्ष था। यह घेरा मई १७०४ से १९ दिसंबर १७०४ तक चला और यह आनंदपुर में हुआ। मुगल शासक औरंगजेब ने इस घेरे के लिए वाज़िर खान, दिलवार खान और ज़बरदस्त खान को सेनापति नियुक्त किया था। उनके साथ शिवालिक पहाड़ियों के जागीरदार राजा भी थे, जो मुगलों के पक्ष में थे।

घेरे के पीछे का कारण:

  • आनंदपुर एक महत्वपूर्ण सिख धार्मिक स्थल और सिखों की राजधानी थी।
  • सिखों के नेता, गुरु गोबिंद सिंह, औरंगजेब के शासन के दौरान हिंदू धर्म और सिख धर्म के लिए खड़े हुए थे।
  • औरंगजेब ने सिखों को दबाने के लिए कई बार आक्रमण किए थे, लेकिन वे असफल रहे थे।
  • सिखों का विरोध बढ़ता जा रहा था, जिससे औरंगजेब चिंतित हो गया था।

घेरे का विवरण:

  • मुगल सेना ने आनंदपुर को चारों तरफ से घेर लिया था।
  • सिखों ने मुगलों का साहसपूर्वक सामना किया।
  • घेरा लगभग सात महीने तक चला, जिसमें सिखों को भूखे और थके रहना पड़ा।
  • सिखों ने मुगलों पर कई हमले किए और उन्हें पीछे धकेल दिया, लेकिन उनकी ताकत कम होती जा रही थी।
  • मुगल सेना बहुत बड़ी थी, और सिखों के पास हथियारों और संसाधनों की कमी थी।
  • सिखों का मनोबल कम होता जा रहा था।

घेरे का अंत:

  • आखिरकार, गुरु गोबिंद सिंह ने अपने परिवार और कुछ सिख योद्धाओं के साथ आनंदपुर से भागने का फैसला किया।
  • मुगलों ने सिखों का पीछा किया, लेकिन गुरु गोबिंद सिंह भागने में सफल रहे।
  • गुरु गोबिंद सिंह के भागने के बाद मुगलों ने आनंदपुर पर कब्जा कर लिया, और इसे नष्ट कर दिया।

घेरे के परिणाम:

  • आनंदपुर का दूसरा घेरा सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
  • इस घेरे में सिखों की बहादुरी और साहस को प्रदर्शित किया गया था।
  • इस घेरे के बाद, गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों को और अधिक मजबूत करने का काम शुरू किया।
  • इस घेरे ने सिखों को मुगलों से लड़ने के लिए और अधिक दृढ़ संकल्पित कर दिया, और इसी ने सिख साम्राज्य के निर्माण की नींव रखी।

The second siege of Anandpur, also known as the second battle of Anandpur (1704), was a siege at Anandpur, between Sikhs and the Mughal governors, dispatched by Aurangzeb, Wazir Khan, Dilwaar Kahn and Zaberdast Khan, and aided by the vassal Rajas of the Sivalik Hills which lasted from May 1704 to 19 December 1704.



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