
शहीदी जोर मेला
Shaheedi Jor Mela
(Annual religious congregation)
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शहीदी सभा: छोटे साहिबज़ादों का बलिदान दिवस
शहीदी सभा, जिसे पहले शहीदी जोड़ मेला के नाम से जाना जाता था, हर साल दिसंबर में पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले में स्थित गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में आयोजित होने वाला एक तीन दिवसीय वार्षिक धार्मिक समागम है।
यह सभा दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित की जाती है।
इस सभा में क्या होता है?
- लाखों श्रद्धालु गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब में नतमस्तक होने आते हैं।
- गुरु ग्रंथ साहिब जी का अखंड पाठ किया जाता है।
- धार्मिक गीतों और कीर्तन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
- कथावाचक साहिबज़ादों के बलिदान की गाथा सुनाते हैं, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावुक हो जाते हैं।
- शहीदी जत्था, जोकि सिख इतिहास के महत्वपूर्ण दृश्यों का मंचन करता है, गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब से गुरुद्वारा ज्योति सरूप तक नगर कीर्तन के रूप में निकलता है।
- यह सभा सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है और सिख धर्म के प्रति आस्था और बलिदान की भावना का प्रतीक है।
शहीदी सभा हमें साहिबज़ादों के अदम्य साहस और धर्म के प्रति उनकी अटूट निष्ठा की याद दिलाती है। यह सिख इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जो हमें सच्चाई, न्याय और धर्म की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देने की प्रेरणा देता है।
Shaheedi Sabha is a three-day annual religious congregation (get-together) organised every year in December at Gurdwara Fatehgarh Sahib, in the Fatehgarh Sahib district of Punjab, India to pay homage to the martyrdom of Chhotte Sahibzade Baba Zorawar Singh and Baba Fateh Singh, the youngest sons of the 10th sikh guru Guru Gobind Singh.