बौद्ध धर्मविधि
Buddhist liturgy
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Summary
बौद्ध धर्म में पूजा-पाठ (Buddhist Liturgy)
बौद्ध धर्म में पूजा-पाठ, एक औपचारिक सेवा है जो बौद्ध संघ समुदाय के भीतर, लगभग सभी पारंपरिक संप्रदायों और संप्रदायों में की जाती है। यह अक्सर दिन में एक या अधिक बार किया जाता है और थेरवाद, महायान और वज्रयान संप्रदायों में भिन्न हो सकता है।
पूजा-पाठ मुख्य रूप से सूत्र या सूत्र के अंशों का जप या पाठ, मंत्र (विशेषकर वज्रयान में), और कई गाथाओं से मिलकर बनता है। साधक जिस अभ्यास को करना चाहता है, उसके आधार पर इसे मंदिर में या घर पर किया जा सकता है। पूजा-पाठ लगभग हमेशा वंदना की वस्तु या वस्तुओं के सामने किया जाता है और प्रकाश, धूप, पानी और / या भोजन के प्रसाद के साथ किया जाता है।
आइए थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
- सूत्र पाठ: सूत्र, बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। सूत्र पाठ के दौरान, साधक बुद्ध के उपदेशों को सुनता है और उनसे प्रेरणा लेता है।
- मंत्र जप: मंत्र, पवित्र ध्वनियाँ हैं जो विशेष शक्ति से युक्त होती हैं। मंत्र जप करने से साधक अपने मन को शांत करने, ध्यान केंद्रित करने और बुद्ध के साथ जुड़ने में सहायता प्राप्त करता है।
- गाथा पाठ: गाथा, छोटे-छोटे छंद हैं जो बुद्ध के उपदेशों को संक्षेप में व्यक्त करते हैं। गाथा पाठ करने से साधक अपने जीवन में बुद्ध के उपदेशों को लागू करने के लिए प्रेरित होता है।
पूजा-पाठ करने के लिए साधक द्वारा प्रसाद के रूप में प्रकाश, धूप, पानी और भोजन का उपयोग किया जाता है।
- प्रकाश: प्रकाश, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
- धूप: धूप, शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
- पानी: पानी, जीवन और शुद्धता का प्रतीक है।
- भोजन: भोजन, साधक के आभार और समर्पण का प्रतीक है।
बौद्ध पूजा-पाठ, साधक को बुद्ध से जुड़ने, अपने मन को शांत करने, अपने जीवन में बुद्ध के उपदेशों को लागू करने और आध्यात्मिक उन्नति करने में सहायता करता है।