Jainism_in_Europe

यूरोप में जैन धर्म

Jainism in Europe

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पश्चिमी देशों में जैन धर्म (Jainism in Western Countries)

हर्मन जैकोबी (Hermann Jacobi), एक जर्मन विद्वान, को पश्चिमी दुनिया में जैन धर्म को लाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने 1884 में जैन साहित्य का अनुवाद करके 'Sacred Books of East' श्रृंखला में प्रकाशित किया।

यूरोप में, ब्रिटेन में सबसे बड़ी जैन आबादी है, जहाँ 2006 तक लगभग 25,000 जैन रहते थे।

भारत के बाहर रहने वाले जैन विभिन्न परंपराओं से संबंधित हैं: दिगंबर, श्वेतांबर, तेरापंथी, स्थानकवासी, श्रीमद् राजचंद्र, सभी का प्रतिनिधित्व है। कई मामलों में, वे संप्रदायवादी मतभेदों के बावजूद एक साथ इकट्ठा होते हैं और पूजा करते हैं।

विस्तार में:

  • हर्मन जैकोबी का योगदान: हर्मन जैकोबी ने जैन ग्रंथों का गहन अध्ययन किया और उन्हें जर्मन और अंग्रेजी भाषा में अनुवादित किया। उनके काम ने पश्चिमी विद्वानों को जैन धर्म को समझने और उसका मूल्यांकन करने में मदद की।
  • ब्रिटेन में जैन समुदाय: ब्रिटेन में जैन समुदाय मुख्यतः गुजरात और पूर्वी अफ्रीका से आए प्रवासियों का वंशज है। वे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को जीवित रखने के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं।
  • विभिन्न परंपराओं का सह-अस्तित्व: पश्चिमी देशों में जैन समुदाय, भारत की तरह ही, विभिन्न संप्रदायों में विभाजित है। हालांकि, वे एक-दूसरे के प्रति सहिष्णु हैं और धार्मिक कार्यक्रमों और समारोहों में एक साथ भाग लेते हैं।

सारांश: जैन धर्म पश्चिमी देशों में एक अल्पसंख्यक धर्म है, लेकिन यह धीरे-धीरे लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। जैन समुदाय अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और पश्चिमी समाज में सकारात्मक योगदान दे रहा है।


The credit for introducing Jainism to the West goes to a German scholar, Hermann Jacobi, who translated some Jain literature and published it in the series 'Sacred Books of East' in 1884. In Europe, the largest Jain populations are in Britain, with a population of about 25,000.



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